हम योग में ग्लोबल लीडर, अब नेचुरोपैथी में भी बनना है- केन्द्रीय मंत्री मेघवाल
लाडनूँ, 12 नवम्बर 2022। केन्द्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा है कि सारे संसार में ‘लिव विथ नेचर’ पर जोर देने लगा है, जो कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। यूरोप व पश्चिमी देशों के लिव विथ नेचर की बात कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि हम जिओ और जीने दो के सिद्धांत को मानते आए हैं। भारत की संस्कृति और जैन दर्शन मतें इसे परम्परा बनाया गया है। हम सूर्योदय की पूजा करते हैं, जो प्राकृतिक चिकित्सा का ही अंग है। लेकिन, अंग्रेजों ने यहां शासन किया तो सूर्यास्त देखने की परम्परा शुरू कर दी। आज लोग आबू पर ‘सनसेट पॉइंट’ पर जाते हैं, लेकिन यह हमारी परम्परा नहीं है। हमने सदैव उगते हुए सूर्य को महत्व दिया है। वे यहां आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में आयोजित जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल कॉलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योग के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। वे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के बाली जाने के दौरान उन्हें वहां कहा गया कि यहां से सूरज उगेगा, आप उसे देखो और मेडिटेशन करो। मैंने कहा कि अरे यह तो हमारे भारत का काम है। उन्होंने आह्वान किया कि योग में हम ग्लोबल लीडर बन गए हैं, उसी प्रकार हमें नेचुरोपैथी में भी विश्व का नेतृत्व करना है। केन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर बताया कि जी-20 ऐसा प्लेटफार्म है जो संसार की 85 प्रतिशत इकोनोमी को प्रभावित करता है। इन जी-20 के 43 देशों में दुनिया की आबादी का दो तिहाई हिस्सा है। इसकी अध्यक्षता अब भारत को मिलने वाली है। इन सभी देशों को हम यहां लाडनूं के इस प्रोजेक्ट को दिखाएंगे। इस पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उन्होंने बताया कि इन देशों के नेचुरोपैथी से जुड़े लोगों को यहां प्राकृतिक चिकित्सा के विविध आयामों के साथ अध्यात्म विज्ञान से भी परीचित करवाएंगे। उन्होंने कहा कि उनका पूरा प्रयास रहेगा कि लाडनूँ में उन सभी देशों के प्रतिनिधियों की एक कांफ्रेंस रखवाएं।
प्राणभूत सबके प्रति अनुकम्पा रखना आध्यात्मिक चिकित्सा
समारोह में आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने पावन पाथेय देते हुए नेचर या प्रकृति शब्द सूर्य की धूप, चन्द्रमा की चांदनी, पथ्वी, जल, अग्नि, वायु आदि से मिलने वाला है। व्यक्ति प्रकृति के समीप रह सकता है। पर नेचुरोपैथी से भी गहराई की चिकित्सा पद्धति है स्प्रिचुअलपैथी। यह आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति है। इसमें व्यक्ति को अपने भीतर रहना होता है। प्राकृतिक चिहिकतसार में भौतिक तत्वों पर आधारित है और आध्यात्मिक चिकित्सा सूक्षम तत्व पर आधारित है। भीतर रहना और रगा-द्वेष आदि से मुक्त रहना इस अध्यात्म चिकित्सा में आता है। विजातीय तत्व शरीर में प्रवेश करनें पर बीमारी आती है, उसे प्राकृतिक चिकित्सा दूर कर देती है, लेकिन इससे भी गहरी बात है कि हमारे कर्मों का प्रभाव। स्प्रिचुअल पैथी में बीमारी को आने ही नहीं दिया जाता है। प्राणभूत सबके प्रति अनुकम्पा रखना आध्यात्मिक चिकित्सा ही है। प्रसन्न आत्मा और मन प्रसन्न रहे तो सब धातु आदि स्वस्थ रहते हैं। शारीरिक अनुकूलता के साथ मानसिक व भावात्मक अनुकूलता भी जरूरी है। लिव विथ नेचर अपने स्वाभाव में रहने पर ही संभव है। उन्होंने योग को मोक्ष मुक्ति का मार्ग बताया और कहा कि योग का आधार केवल आसन, प्राणायाम आदि ही नहीं बल्कि प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा आदि भी योग के अभिन्न अंग हैं। आचार्यश्री ने शिक्षा के साथ चिकित्सा, स्वास्थ्य व साधना को भी प्रमुख बताया और कहा कि आचार्य तुलसी की जन्मभूमि पर यह नेचुरोपैथी का बहुत बड़ा व महत्वपूर्ण प्रकल्प है। यहां जैन विश्व भारती संस्थान में आधत्मिकता, धार्मिकता, मूल्यवता, शारीरिक चिकित्सा व आध्यामिक चिकित्सा का केन्द्र हो यही भावना है।
आयुर्वेद और होमियापैथी को भी करेंगे अधुनातन स्वरूप में प्रस्तुत
समारोह में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ का स्वप्न था कि यह परिसर विजडम सिटी के रूप में विकसित हो और भारतीय विधाओं का केन्द्र बने। इसी के आधार पर आज यह पा्रकृतिक चिकित्सा प्रकल्प के रूप में उनका स्वप्न साकार हुआ है। आयुर्वेदिक चिकित्सा को भी अधुनातन रूप में प्रस्तुत करने के प्रकल्प और होमियोपैथी प्रकल्प पर भी हमारा विचार है। जो आचार्यश्री के आशीर्वाद से सफल हो पाएगा। उन्होंने इस अवसर पर मुनिश्री विश्रुत कुमार, मुनिश्री कुमार श्रमण, मुख्य मुनि महावीर कुमार, डा. रहमान, डा. चिराग आदि तथा सहयोगी धर्मचंद लूंकड़, बाबूलाल शेखानी, जयंती लाल सुराना, राकेश कठोतिया, आदि को याद करते हुए कहा कि उनका पूरा सहयोग रहा। कार्यक्रम में जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लूंकड़, भवन निर्माण में सहयोगी कमल किशोर ललवाणी, सहयोगी जयंतीलाल सुराणा व इन्द्राजमल भूतोड़िया ने भी सम्बोधित करके अपनी भावनाएं व्यक्त की। इस अवसर पर उपकरण सहयोगी राकेश कठोतिया व आरती कठोतिया, डा. अल्ताफुर्रहमान, भवन निर्माण के ठेकेदार बीएल लोढा का सम्मान भी किया गया। समारोह का प्रारम्भ समणी प्रणव प्रज्ञा के मंगल संगान से किया गया और आचार्यश्री महाश्रमण के मंगलपाठ के बाद समारोह सम्पन्न हुआ।
Latest from
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- ‘मेरा प्रथम वोट- मेरा देश’ अभियान के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने ली शपथ
- सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
- सस्थान में आईसीपीआर की ओर से वैश्वीकरण की नैतिकता पर व्याख्यान आयोजित
- संस्थान के 14वें दीक्षांत समारोह का अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में वाशी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र में भव्य आयोजन
- छिपोलाई बालाजी मंदिर परिसर में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें अभियान’ के तहत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
- दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़
- एंटी रैगिग को लेकर विशेष बैठक आयोजित
- साइबर सिक्योरिटी पर ऑनलाइन पावर पॉइंट प्रतियोगिता आयोजित
- गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया
- विश्व योग दिवस पर किया सामुहिक योगाभ्यास
- केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का समारेाह पूर्वक अभिनन्दन
- अहिंसा एवं शांति विभाग में फेयरवेल पार्टी का आयोजन
- पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम
- जैविभा संस्थान को ‘बेस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी’ अवार्ड और संस्थान के कुलपति प्रो. दूगड़ को ‘ग्लोबल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’
- प्राकृत भाषा को संविधान की मानक भाषाओं की सूची में शामिल किया जाए- प्रो. सिंघवी
- आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘संवाद भगवान से’ की समीक्षा प्रस्तुत
- संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन कर रक्षा की शपथ ली
- जैन विश्वभारती संस्थान की छात्रा स्मृति कुमारी ने किया संसद में राजस्थान का प्रतिनिधित्व
- एनसीसी की छात्राओं को दो दिवसीय शिविर में दिए विभिन्न प्रशिक्षण
- लाडनूँ की छात्रा स्मृति कुमारी ने संसद में किया राजस्थान का प्रतिनिधित्व
- आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में बिरसा मुंडा की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह आयोजित
- एनसीसी कैडेट्स को रेंक का वितरण किया
- शैक्षिक संस्थानों में विद्यार्थियों को दी जाए ईमानदारी के आचरण की प्रेरणा- प्रो. जैन
- तेरापंथ धर्मसंघ के मुख्य मुनि महावीर कुमार को पर्यावरणीय चिंतन सम्बंधी शोध पर पीएचडी
- लाडनूँ की एनसीसी कैडेट को ईमानदारी व नैतिकता के टास्क में मिला स्वर्ण-पदक
- ‘भ्रष्टाचार से मुकाबले में शिक्षा की भूमिका’ पर राष्टीªय सेमिनार आयोजित
- सतर्कता जागरूकता के अन्तर्गत लोकगीत, लघुनाटिका व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन
- साइबर जागरुकता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- सतर्कता जागरूकता सप्ताह के तहत प्रतियोगिता का आयोजन
- प्राकृत भाषा और साहित्य पर 16 वीं व्याख्यानमाला का आयोजन