प्राकृत भाषा को संविधान की मानक भाषाओं की सूची में शामिल किया जाए- प्रो. सिंघवी
‘प्राकृत का विकास: समस्याएं और समाधान’ पर व्याख्यान आयोजित
लाडनूँ, 28 नवम्बर 2022। ’प्राकृत का विकास: समस्याएं और समाधान’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में मुख्य वक्ता प्रो. सुषमा सिंघवी ने कहा कि प्राकृत भाषा को रोजगारोन्मुख बनाने की आवष्यकता बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में प्राकृत भाषा के पर्याप्त अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था होनी आवष्यक है। उन्होंने यहां जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित मासिक व्याख्यानमाला में बोलते हुए आगे कहा कि प्राकृत भाषा के विकास में इसका संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल न होना सबसे बड़ी समस्या है, जबकि यह भाषा भारत के गौरव को बढ़ाने वाली प्रमुख भाषा है। आज अनेक लोग प्राकृत भाषा के बारे में नहीं जानते, क्योंकि वर्तमान में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं स्कूल स्तर पर प्राकृत का ज्ञान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृत भाषा के सम्बंध में विभिन्न चयनित विषयों पर शोध की आवश्यकता भी है। यद्यपि इस कार्य में जैन विश्वभारती संस्थान जैसे अनेक प्रमुख संस्थान लगे हुए हैं।
तकनीक व लघु पाठ्यक्रमों से संभव है प्रसार
प्रो सिंघवी ने कहा कि आमजन नहीं जानता कि प्राकृत नाम की कोई भाषा है। इसलिए प्राकृत के साथ हम ‘भाषा’ शब्द का प्रयोग करना आवश्यक है। प्राकृत भाषा का एक मानक रूप लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अपने इतिहास की प्रामाणिक जानकारी के लिए प्राकृत भाषा को जानना जरूरी है। उन्होंने प्राकृत भाषा के विकास के लिए प्राकृत भाषा में छोटे-छोटे कोर्स बनाए जाने तथा उनमें कहानियों का प्रयोग अधिक से अधिक किए जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्राकृत साहित्य में वर्णित विषयों को लेकर छोटी-छोटी पुस्तकें लिखी जानी चाहिए। इस भाषा के विकास के लिए भाषा-प्रौद्योगिकी के प्रयोग की भी आवश्यकता है। आधुनिक तकनीक द्वारा इस भाषा को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है।
संस्कृत के बिना प्राकृत का प्रसार संभव नहीं
अध्यक्षीय व्यक्तय में प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि जिस प्रकार देश संविधान से चलता है, उसी प्रकार भाषा का संविधान व्याकरण होता है। यदि प्राकृत भाषा के विस्तार के लिए प्राकृत व्याकरण का सम्यक् अध्ययन करना आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृत को समझने के लिए संस्कृत व्याकरण को भी समझना आवश्यक है। संस्कृत के बिना प्राकृत का प्रचार-प्रसार संभव नहीं है। क्योंकि प्राकृत की प्रकृति संस्कृत को माना गया है। प्रो. शास्त्री ने प्रो. सिंघवी की इस बात पर सहमति जताई कि प्राकृत अनेक रूपों में प्रचलित है, इसलिए प्राकृत के अनेक रूपों में से एक रूप को मानक भाषा के रूप में स्वीकार करना आवश्यक है। कार्यक्रम का प्रारम्भ छात्र आकर्ष जैन के मंगलाचरण से किया गया। स्वागत भाषण डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा ने प्रस्तुत किया, कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया तथा अन्त में धन्यवाद ज्ञापन सब्यसाची सांरगी ने किया। इस व्याख्यान कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 35 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
Latest from
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- ‘मेरा प्रथम वोट- मेरा देश’ अभियान के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने ली शपथ
- सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
- सस्थान में आईसीपीआर की ओर से वैश्वीकरण की नैतिकता पर व्याख्यान आयोजित
- संस्थान के 14वें दीक्षांत समारोह का अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में वाशी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र में भव्य आयोजन
- छिपोलाई बालाजी मंदिर परिसर में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें अभियान’ के तहत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
- दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़
- एंटी रैगिग को लेकर विशेष बैठक आयोजित
- साइबर सिक्योरिटी पर ऑनलाइन पावर पॉइंट प्रतियोगिता आयोजित
- गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया
- विश्व योग दिवस पर किया सामुहिक योगाभ्यास
- केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का समारेाह पूर्वक अभिनन्दन
- अहिंसा एवं शांति विभाग में फेयरवेल पार्टी का आयोजन
- पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम
- जैविभा संस्थान को ‘बेस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी’ अवार्ड और संस्थान के कुलपति प्रो. दूगड़ को ‘ग्लोबल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’
- आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘संवाद भगवान से’ की समीक्षा प्रस्तुत
- संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन कर रक्षा की शपथ ली
- जैन विश्वभारती संस्थान की छात्रा स्मृति कुमारी ने किया संसद में राजस्थान का प्रतिनिधित्व
- एनसीसी की छात्राओं को दो दिवसीय शिविर में दिए विभिन्न प्रशिक्षण
- लाडनूँ की छात्रा स्मृति कुमारी ने संसद में किया राजस्थान का प्रतिनिधित्व
- आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में बिरसा मुंडा की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह आयोजित
- हम योग में ग्लोबल लीडर, अब नेचुरोपैथी में भी बनना है- केन्द्रीय मंत्री मेघवाल
- एनसीसी कैडेट्स को रेंक का वितरण किया
- शैक्षिक संस्थानों में विद्यार्थियों को दी जाए ईमानदारी के आचरण की प्रेरणा- प्रो. जैन
- तेरापंथ धर्मसंघ के मुख्य मुनि महावीर कुमार को पर्यावरणीय चिंतन सम्बंधी शोध पर पीएचडी
- लाडनूँ की एनसीसी कैडेट को ईमानदारी व नैतिकता के टास्क में मिला स्वर्ण-पदक
- ‘भ्रष्टाचार से मुकाबले में शिक्षा की भूमिका’ पर राष्टीªय सेमिनार आयोजित
- सतर्कता जागरूकता के अन्तर्गत लोकगीत, लघुनाटिका व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन
- साइबर जागरुकता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- सतर्कता जागरूकता सप्ताह के तहत प्रतियोगिता का आयोजन
- प्राकृत भाषा और साहित्य पर 16 वीं व्याख्यानमाला का आयोजन