संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित
आचार्य महाप्रज्ञ मुक्त चेतना स्वरूप विशिष्ट व्यक्तित्व थे- प्रो. दूगड़
लाडनूँ, 23 जून 2025। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित करके उनके जीवन, कर्तृत्व एवं अवदान को याद किया गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि वे एक विशिष्ट व्यक्तित्व थे। वे सम्प्रदाय से सम्बद्ध होने के बावजूद एक मुक्त चेतना थे। वे किसी से भी बंधे हुए नहीं होकर पूर्ण स्वतंत्र चेतना के स्वरूप थे। उनको किसी से कोई लाग-लपेट नहीं थी। उन्होंने वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए आध्यात्मिक मार्ग प्रस्तुत किया। कुलपति ने बताया कि जैन विश्वभारती संस्थान के विकास में और संस्थान के विचारों के विकास में उनका महतवपूर्ण योगदान रहा था। संस्थान के प्रारम्भिक चार विभाग अहिंसा एवं शांति विभाग, प्राकृत व संस्कृत विभाग, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग और जैनविधा विभाग उनकी ही देन रहे। इन चारों विभागों में उनकी विचारधारा के अनुरूप ही पाठ्यक्रमों का निर्माण किया गया था। इनके साथ ही वे चाहते थे कि में भारतीय प्राच्य विधाओं के विकास में विश्वविद्यालय अग्रणी रहे। उनकी भावनाओं के अनुरूप ज्योतिष, प्राकृतिक चिकित्सा, राजस्थानी भाषा आदि में कोर्स प्रारम्भ किए गए हैं। आयुर्वेद में भी पाठ्यक्रम शुरू करवाने के लिए प्रयास जारी है। उन्होंने बताया कि महाप्रज्ञ की भावनाओं के अनुरूप यह विश्वविद्यालय नोलेज सिटी से आगे बढ कर ‘विजडम सिटी’ के रूप में विकसित किया जाना है। कार्यक्रम में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. जिनेन्द जैन, प्रो. बीएल जैन, डा. प्रद्युम्नसिंह शेखावत आदि ने भी अपने विचार रखते हुए आचार्य महाप्रज्ञ को संत, दार्शनिक, परफेक्ट व्यक्ति, जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रणेता आदि के रूप में प्रतिपादित किया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार राजेश मौजा, डिप्टी रजिस्ट्रार अभिनव सक्सेना, दीपाराम खोजा, मोहन सियोल, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. बलबीर सिंह, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. लिपि जैन, डाॅ. मनीष भटनागर, अभिषेक चारण, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. रामदेव साहू, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, डाॅ. गिरीराज भोजक, ईर्या जैन, डाॅ. मनीषा जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, प्रगति चैरड़िया, डाॅ. आयुषी शर्मा, डाॅ. विष्णु शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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