जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रसार भाषणमाला व्याख्यान आयोजित

जीवन की उन्नति संस्कारों पर निर्भर- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 10 जुलाई 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में प्रसार भाषणमाला के अन्तर्गत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में जीवन व्यवहार की साधना और सफलता के सूत्रों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में उन्नति के लिये संस्कारों की अहम भूमिका होती है। अच्छें संस्कारों से ही जीवन को सफल एवं सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। संस्कार-विहीन शिक्षा निरर्थक होती है। उन्होंने समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा, साधनों की पवित्रता, साध्य के प्रति गहरी निष्ठा, विवेक के इस्तेमाल और धैर्य व साहस की आवश्यकता पर अपने विचार रखते हुये कहा कि जीवन की सफलता इन सूत्रों में ही निहित है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, इसलिये हमें समय की कीमत को पहचानना होगा। समय का सदुपयोग करते रहने से विभिन्न मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता है। उन्होंने प्रत्येक कार्य को सोच-समझ कर करने तथा सदैव खुश रहने के सूत्र भी बताये तथा कहा कि हमेशा हंसते हुये रहना चाहिये। हंसने का गुण जीवन के लिये रामबाण होता है। भाषणमाला के प्रारम्भ में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। अंत में डाॅ. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, राजश्री, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि संकाय सदस्य एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित थी।

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