आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष में ‘मैं कुछ होना चाहता हूं’’ पुस्तक पर समीक्षा प्रस्तुत

दृष्टिकोण बदलने से संभव है चेतनाशक्ति का विकास- डाॅ. भटनागर

लाडनूँ, 19 अगस्त 2019। आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में चलाये जा रहे पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत सोमवार को विभाग आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक ‘‘मैं कुछ होना चाहता हूं’’ पर डाॅ. मनीष भटनागर ने समीक्षा प्रस्तुत की। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन की अध्यक्षता में हुये इस कार्यक्रम में डाॅ. भटनागर ने बताया कि महाप्रज्ञ इसमें चेतना की शुद्धि की बात करते हैं और कहते हैं कि जब दृष्टिकोण बदल जाता है, तो व्यक्ति साधना की ओर बढता है और यही कायासिद्धि का उपाय व प्रयोजन है। महाप्रज्ञ कहते हैं कि कायाशुद्धि के साथ मनशुद्धि भी आवश्यक है। इनके लिये सबसे जरूरी है वाणी की शुद्धि। वाणी शुद्धि का उपाय सत्यनिष्ठा है। कायाशुद्धि के पांच उपाय बताये गये हैं, जिनमें कायोत्सर्ग, आसन, बंध, व्यायाम और प्राणायाम शामिल हैं। इनके अलावा मनुष्य की दुर्बलताओं में क्रूरता, विषमता और स्वभाव की जटिलता है। इनके परिष्कार के सूत्रों में करूणा का विकास, समता का विकास और कषाय-नियमन का विकास है। डाॅ. भटनागर ने कहा कि महाप्रज्ञ ने अपनी पुस्तक में बताया है कि वर्तमान युग का सबसे अधिक लुभावना एवं आकर्षक शब्द है- मन का अनुशासन। आज मन की समस्यायें जितनी जटिल हैं, उतनी संभवतः पहले कभी नहीं रही। प्रत्येक व्यक्ति में इच्छायें होती हैं, लेकिन उनकी पूर्ति में दूसरों की इच्छाओं में बाधक बनना व दूसरों को क्षति पहुंचाना नहीं होना चाहिये। इसके लिये इच्छाओं के परिष्कार की आवश्यकता है।संयम और अनुशासन से ही इच्छाओं का परिष्कार संभव है। उन्होंने अनुशासन को सात चरणों में क्रमबद्ध किया है। इच्छा का अनुशासन, श्वास पर अनुशासन, आहार पर अनुशासन, भाषा पर अनुशासन, शरीर पर अनुशासन, मन पर अनुशासन और इंद्रियों पर अनुशासन। मनुष्य का विशिष्ट बनाने के लिये प्राणशक्ति के साथ चेतनाशक्ति को विकसित करने का सामर्थ्य, चेतना के नये-नये आयामों को उद्घाटित करने का सामथ्र्य, चेतना के विकास का बोध और चेतना बोध की क्रियान्विति को हेतु बताया गया है। इस प्रकार इस पुस्तक के माध्यम से मनुष्य को श्रेष्ठ बनाने, उसके मन को अनुशासित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। कार्यक्रम में डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक आदि संकाय सदस्य एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित थी।

Read 1971 times

Latest from