जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व पर्यावरण दिवस पर ऑनलाईन कार्यक्रम का आयोजन

प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से बिगड़ता है पर्यावरण- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 5 जून। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाईन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह प्रकृति की व्यवस्था है कि पृथ्वी अपना पर्यावरणीय संतुलन स्वयं बनाती है, लेकिन मनुष्य इस संतुलन को बिगाड़े में लगा हुआ हैं। पृथ्वी पर जो भूकम्प, तूफान, सुनामी, अतिवृष्टि, सूखा आदि प्राकृतिक आपदायें आती हैं, वे सब इस पर्यावरण असंतुलन के कारण ही होती हैं। इन पर नियंत्रण के लिये आवष्यक है कि मनुष्य प्रकृति का दोहन संयमित होकर करे। डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने कहा कि विज्ञान द्वारा की गई प्रगति ही हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली है। चाहे वह महामारी के रूप में हो अथवा रासायनिक तत्वों के दुरूपयोग के रूप में हो। बढता भौतिकवाद और आधुनिकीकरण मनुष्य को पर्यावरणीय विनाश की ओर ही ले जा रहा है। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मनुष्य के अस्तित्व के लिये पर्यावरण आवश्यक है। अगर पर्यावरण नहीं रहा तो कम भी नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोरोना महामारी के दौर में जब व्यक्ति घर में बैठ गया है, कल-कारखाने बंद हैं, वाहनों का चलना बंद है तो उसके कारण वातवारण में प्रदूषण कम हुआ है। इससे नदियों का जल स्वच्छ हुआ है और जिस हिमालय को हम पर्यावरणीय दूषिता के कारण नहीं देख पाते थे, वह दूर से ही नजर आने लगा है। इसी तरह से पर्यावरण को बचाने के लिये हमें संसाधनों के गलत उपयोग को कम करना होगा।

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