जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से परीचित थे रसखान

लाडनूँ, 23 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आंतरिक व्याख्यानमाला के अन्तर्गत अभिषेक चारण ने ‘महाकवि रसखान की कृष्ण भक्ति और उनका रचना संसार’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुए इस व्याख्यान में चारण ने बताया कि रसखान मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे और उनकामूल नाम सैयद इब्राहिम था, परन्तु कृष्ण की भक्ति उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण की भक्ति और उन पर काव्य रचने में लगा दिया था। उन्होंने बृज भाषा में यमक अलंकार का प्रयोग करते हुये सवैयों की रचना की। उनकी काव्य-रचना भक्ति और श्रृंगार रस से भरी हुई रही। मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू धर्म और पौराणिक कथाओं से बहुत गहराई से वे परीचित थे। रसखान ने कृष्ण की बाल-लीलाओं से लेकर रास-लीलाओं तक का सजीव चित्रण अपनी रचनाओं में किया। साथ ही गूढ दार्शनिक तत्वों का उल्लेख उन्होंने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों और भाषा में करके उन्हें सहज बनाया। चारण ने अपने व्याख्यान में रसखान की कविताओं को प्रसतुत करते हुये अपने व्याख्यान को रसमय बना दिया। व्याख्यान के अंत में प्रश्नोत्तरी में उपस्थित संकाय सदस्यों ने अनेक जिज्ञासाएं प्रस्तुत की, जिनके बारे में चारण ने जवाब देकर समाधान प्रस्तुत किए। सोमवीर सांगवान ने प्रारम्भ में व्याख्यान की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, विनोद कुमार सैनी, शेरसिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, डाॅ. प्रगति भटनागर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. बलवीरसिंह चारण ने आभार ज्ञापित किया।

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