शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत कृत्रिम बुद्धि की उपयोगिता पर व्याख्यान

आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस की जीवन में बहुत सफलतताएं मिल जाती है- ओला

लाडनूँ, 10 अप्रेल 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में “संकाय संवर्धन कार्यक्रम” के अंतर्गत ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी‘ के सम्बंध में व्याख्यान प्रस्तुत किया जाकर एआई यानि कृत्रिम बुद्धि के मूलभूत सिद्धांतों और उसकी व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया गया। विषय विशेषज्ञ प्रमोद ओला ने इस पर अपने व्याख्यान में बताया कि दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले मोबाईल, सोशल मीडिया, वीडियो गेम, आॅटोमोबाईल, व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा तथा उच्च स्तरीय कम्प्यूटराइज्ड रोबोट बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी द्वारा सफलता प्राप्त की गई है। चिकित्सा क्षेत्र में मानव की पहुंच से बाहर वाले अंगों के इलाज में रोबोट द्वारा सफलता मिली है। खेल जगत में भी इसके प्रयोग के माध्यम से सही निर्णय लेना संभव हुआ है।

यांत्रिक बुद्धि से बनेगा मानव जीवन सरल

ओला ने बताया कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से मानव जीवन को सरल बनाने और विभिन्न कार्यों को मशीनों के जरिए से करना संभव हुआ हैं। लेकिन दूसरी तरफ संवेदनशीन मुद्दों को समझने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सक्षम नहंी है। इस कारण मनुष्य जीवन में अनेक समस्याएं भी पैदा होंगी। उन्होंने रोबोट के उपयोग पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए भी रोबोट तैनात करके लक्ष्य पाया जा सकता है, जो कि मनुष्यों की भांति ही काम करेंगे। एआई भविष्य में सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में विभिन्न समस्याओं को सुलझाना भी संभव होगा। व्याख्यान के अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएज जैन ने आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि मशीनों और मशीनी दिमाग का उपयेाग मनुष्य के अधीन ही रहना चाहिए। मनुष्य पर इनका हावी होना अनुचित हो जाता है। मशीनरी का उपयोग चाहे वह इंटेलीजेंस क्षेत्र में हो या अन्य सोशल फील्ड में उसके लाभों से भी मानवता को लाभान्वित किया जाना आवश्यक है। इस अवसर पर डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. ममता सोनी आदि उपस्थित रहे।

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