अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में जैन विश्वभारती संस्थान में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह

पुरुष, पुस्तक एवं पंथ से प्रतिष्ठित है भारत भूमि - अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण

26 जनवरी 2022। जैन विश्वभारती संस्थान में 73वां गणतंत्र दिवस समारोह अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर आचार्यश्री ने उद्बोधन देते हुए यह बतलाया कि भारत लोकतंत्र का सबसे विशाल देश है। लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में जनता-जनार्दन का अत्यधिक महत्त्व है। यह भारत भूमि पुरुष, पुस्तक एवं पंथ से प्रतिष्ठित है, जिसके कारण इस भारत भूिम का वैशिष्ट्य विश्व में आदर के साथ स्वीकार किया जाता है। यहां का पुरुष अथवा युवा, जो अपने पुरुषार्थ के बल पर अनेक क्षेत्रों को समृद्ध किये हुए है, यहां के युवाओं का वैश्विक अवदान भी दृष्टिगोचर होता है। विभिन्न परम्पराओं की पुस्तकें, जो इस भारतभूमि को विभिन्न ज्ञान-विज्ञानों से समृद्ध किये हुए है, उनमें जैनागमों, बौद्ध त्रिपिटकों एवं वैदिक उपनिषद, भगवद् गीता आदि यहां के पुरुषों के लिए मार्गदर्शक के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इनमें निहित ज्ञान-निधि को पथ-प्रदर्शक के रूप में भी देखा जा सकता है। इस भारतभूमि में निहित विभिन्न परम्पराओं के पंथ के अवदान भी महत्त्वपूर्ण हैं। अनुशास्ता ने आगे यह भी कहा कि आजादी का मतलब स्वतंत्रता है, न कि स्वच्छन्दता। इस अन्तर को आचार्यश्री ने सड़क पर लेटे हुए एक व्यक्ति द्वारा किये जा रहे स्वतंत्रता-उद्घोष का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया। उन्होंने यह भी बताया कि देश के प्रत्येक नागरिक को आत्मानुशासित होकर अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए। देश का प्रत्येक व्यक्ति अगर अपने कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व के प्रति जागरुक रहेगा तो इस भारतभूमि में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था जन्म नहीं ले सकती। अंत में आचार्यश्री ने संस्थान में हो रहे विकास के प्रति संतोष व्यक्त किया। इस अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने यह बताया कि आज का दिन उन क्रान्तिकारियों को याद करने का दिन है, जिन्होंने अपने त्याग एवं बलिदान से इस देश को आजाद करवाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें भी याद करने का दिन है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में सुशासन स्थापित करने के लिए लम्बे प्रयासों के बाद संविधान के रूप में व्यवस्थाओं का एक ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत किया, जिस पर चलते हुए भारत विविध क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रहा है। यह वो देश है, जिसमें 60 प्रतिशत युवा अपने महत्त्वपूर्ण योगदानों से न केवल देश को बल्कि विश्व को भी प्रतिष्ठित कर रहे हैं। अनुशास्ता का आज का आगमन हमें अक्षय-ऊर्जा प्रदान कर रहा है, जिससे हम संस्थान के विकास में चार चांद लगा सकते हैं।

समारोह में मुख्य अतिथि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष सुरेश चंद गोयल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सही मायने में स्वराज का दिन तो आज है। 15 अगस्त को तो हम आजाद हुए थे किन्तु अपना संविधान प्रस्तुत करके आज के दिन स्वराज को प्राप्त किया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने ध्वजारोहण किया। राष्ट्रगान के बाद एनसीसी की छात्राओं ने तिरंगे झण्डे को सलामी दी। इस अवसर पर संस्थान के विकास में विशेष योगदान देने वाले श्री रमेशजी गोयल एवं पुखराजजी बडोला का उत्तरीय एवं संस्थान का प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया।

कार्यक्रम में एनसीसी की छात्राओं को रैंक भी प्रदान की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. युवजराजसिंह खंगारोत ने किया। इस अवसर पर जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष धरमचंद लूंकड़ एवं रमेश कुमार बोहरा, जैन विश्व भारती के मंत्री प्रमोद बैद, मुख्य ट्रस्टी अमरचंद लूंकड़, मूलचंद नाहर, पुखराज बडोला, केवलचन्द माण्डोत, संस्थान के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री कुमार श्रमण, मुनिश्री कीर्तिकुमार, मुनिश्री विश्रुत कुमार, प्रो. नलिन के. शास्त्री, प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी, प्रो. बी.एल. जैन, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता आदि उपस्थित थे।

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