वैश्विक तापमान का बढना ही है टिडिडयों व अन्य आपदाओं का कारण- तनिष्का

लाडनूँ, 20 दिसम्बर 2022। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आयोजित होने वाले मासिक व्याख्यानमाला कार्यक्रम में मंगलवार को भूगोल संकाय की तनिष्का शर्मा ने ‘टिड्डीयों का हमलाः चेतावनी की घण्टी’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यान में तनिष्का ने बताया कि टिड्डी उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में जन्म लेने वाला ऐसा जीव है, जो लोगों की आजीविका खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण एवं आर्थिक विकास पर खतरा उत्पन्न करता है। इनमें भी रेगिस्तानी टिड्डियों को दुनिया के सभी प्रवासी कीट प्रजातियों में सबसे खतरनाक माना जाता है। इनका जीवन काल 3 महीनों से लेकर अधिकतम 5 महीनों का होता है। टिड्डियों और जलवायु परिवर्तन के संबंध को बताते हुए शर्मा ने कहा कि वैश्विक तापमान का बढ़ना बाढ़ एवं महामारी जैसी वैश्विक आपदाओं को आमंत्रित करता है और बढ़ते वैश्विक तापमान का एक परिणाम यह भी हुआ है कि एक बड़े स्तर पर टिड्डियों की संख्या में आमूलचूल वृद्धि देखने को मिल रही है। अतः सभी देशों को साझा प्रयास करके वैश्विक तापमान में होती बढ़ोतरी में कमी लानी चाहिए, जिससे कि इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से सहज पार पाया जा सके। वर्ष 2019 कोरोना काल के दौरान पश्चिमी भारत में एक बार फिर हमारा टिड्डीयों के हमले से सामना होने को शर्मा ने मानसून के समय से पहले आने और नवंबर माह में लंबी अवधि तक मानसून का बने रहना माना है। उन्होंने बताया कि मानसून का लंबी अवधि तक रहना इस कीट के जीवनकाल को बड़ा करने का एक अनुकूल कारण बनता है। मानसून से बने सरसब्ज इलाके इनका पोषक बन जाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए समय रहते केंद्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के समन्वित प्रयास किए जाने जरूरी है। अन्यथा विशाल टिड्डी दल किसी विशाल भूभाग को वीरान बना देने में देर नहीं लगाता। अंत में प्रेयस सोनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के संयोजक अभिषेक चारण रहे। प्रो. रेखा तिवारी, डॉ. बलवीर सिंह, श्वेता खटेड़, अभिषेक शर्मा आदि कार्यक्रम मं उपस्थित रहे।

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