जैन आचार्यों से भेंट के कार्यक्रम का बीकानेर से आगाज

जैन विद्याओं के विकास, अनुसंधान के लिये जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय कृत-संकल्प: प्रो. दूगड़

बीकानेर, 22 अक्टूबर, 2017। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा जैन-विद्या एवं प्राच्य विद्याओं के विकास, विस्तार, अध्ययन, अनुसंधान आदि के संबंध में विभिन्न जैनाचार्यों से मिलने की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बीकानेर में विराजित जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छाधिपति आचार्य मणिप्रभ सूरिश्वरजी से भेंट की। इस भेंट के अवसर पर वहाँ एक कार्यक्रम भी रखा गया, जिसमें कुलपति प्रो. दूगड़ ने उपस्थित जन-समुदाय को वर्तमान समय में मूल्यों के संकट एवं मूल्यों के विकास के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्कारों की जननी है। यह तभी संभव है जब शिक्षा में संस्कार के तत्त्व निहित हों अन्यथा शिक्षा कोरी बौद्धिक होकर रह जायेगी। उन्होंने बताया कि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रारम्भ से ही शिक्षा में मूल्यों को समाहित किये हुए है। यहाँ के सभी पाठ्यक्रमों के केन्द्र में मूल्य है। चरित्र-निर्माण यहाँ की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य जीविकोपार्जन की शिक्षा के साथ जीवन-निर्माण की शिक्षा है। उन्होंने आचार्यश्री को जैन-विद्याओं के बारे में बताते हुये कहा कि विश्वविद्यालय में जैन-विद्या से सम्बन्धित त्रैमासिक उपयोगी प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम भी शुरू किये जा रहे हैं, जिसमें जैन-वास्तु, जैन-गणित, जैन-प्रबन्धन, जैन-ज्योतिष, जैन-शिक्षा, जैन-संस्कृति आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा जैन-विद्याओं में शोध एवं उनके विस्तार के लिये अनेक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि इस क्षेत्र में कार्य करने वाला जैन विश्वभारती संस्थान दुनिया का ऐसा प्रथम जैन विश्वविद्यालय है, अतः इस संस्थान की योजना है कि सभी जैन सम्प्रदाय के आचार्यों के सान्निध्य में कार्यक्रम आयोजित कर उनके सुझावानुसार संस्थान के विकास को गति दी जाये। इसी उद्देश्य से इस उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन आज यहाँ किया गया है। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से आचार्यश्री मणिभद्र सूरिश्वरजी को संस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य भेंट भी किया।

इस अवसर पर संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों व पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि महिला-शिक्षा के लिए यह संस्थान उत्कृष्ट है। उन्होंने पत्राचार द्वारा घर बैठे बी.ए., बी.कॉम एवं एम.ए. किये जाने वाले पाठ्यक्रमों पर प्रकाश डाला। जैन धर्म के मंदिरमार्गी समाज के वरिष्ठ लोगों से भी इस अवसर पर कुलपति प्रो. दूगड़ ने भेंट की। उन्होंने बताया कि अपनी योजना के तहत वे गुजरात, इंदौर एवं राजस्थान के अन्य जैन आचार्यों से भी भेंट करेंगे। इस अवसर पर आचार्यश्री मणिप्रभ सूरीश्वरजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह जैन विश्वविद्यालय है। सभी जैन समाज को इसके संरक्षण, सम्पोषण एवं सम्वर्द्धन में आगे आना चाहिए। यहाँ के पाठ्यक्रम जैन मूल्यों को समाहित किये हुए हैं, इसलिए संस्कार-निर्माण में उपयोगी हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस विश्वविद्यालय ने सभी सम्प्रदाय के साधु-साध्वियों के लिए जो अध्ययन की उत्तम व्यवस्था दी है, उसका लाभ हमारे साधु-साध्वियों ने खूब उठाया है, जिनमें से कई तो विश्वविद्यालय से पी-एच्.डी. डिग्री भी प्राप्त कर चुके हैं।

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