आचार्य तुलसी श्रुत-संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत अहिंसा की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान आयोजित
अहिंसा को अपनाने से व्यक्ति, परिवार व समाज सुखी बनता है-डा. भारिल्ल
लाडनूँ, 5 अप्रेल 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अन्तर्गत महादेवलाल सरावगी अनेकांत शोधपीठ के तत्वावधान में आचार्य तुलसी श्रुत-संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला के अन्तर्गत गुरूवार को महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में वर्तमान परिपे्रक्ष्य में अहिंसा की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य व्याख्यानकर्ता पं. टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जयपुर के निदेशक डाॅ. हुकमचंद भारिल्ल ने कहा कि राग आदि दोष हिंसा के मूल कारण होते हैं। भगवान महावीर ने कहा था कि आत्मा में रागादि की उत्पति का होना हिंसा है और रागादि का नहीं होना अहिंसा है। महावीर ने 2500 साल पहले अहिंसा का सिद्धांत दिया था, वह आज पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। ढाई हजार साल पहले पत्थरों से युद्ध होते थे, लेकिन आज जो आधुनिक अस्त्रों का इस्तेमाल होता है, वह अधिक घातक व हिसंक है। पत्थरों का घायल तो केवल अस्पताल पहुंचता है, लेकिन इन आयुधों से घायल व्यक्ति का तो जीवन ही समाप्त हो जाता है। आज निर्दयता एवं हिंसा की भावनायें बढी हैं। ऐसे में महावीर के सिद्धांतों पर चलने पर हम शांत हो सकते हैं। उन्होंने झगड़े और युद्ध के कारणों में जर, जोरू और जमीन को बताया तथा कहा कि इनके प्रति लोगों के अनुराग से झगड़ा पनपता है और इसके अलावा धर्मानुराग भी झगड़े और बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बनता है। काया, वाणी और मन से हिंसा होती है। इनमें काया की हिंसा तो सरकार रोकती है और वाणी की हिंसा समाज रोकता है, लेकिन मन की हिंसा को धर्म ही रोक सकता है। उन्होंने अहिंसा को अमृत बताया तथा कहा कि इसे अपना कर व्यक्ति सुखी होगा और परिवार, समाज या देश द्वारा अहिंसा अपनाई जायेगी तो वे भी सुखी बन जायेंगे।
माध्यमिक शिक्षा में शामिल हो जीवन विज्ञान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बी.एल. चैधरी ने ईशावास्योपनिषद, गीता, देसी कहावतों आदि के आधार पर जीवन-व्यवहार को समझाया तथा कहा कि विभिन्न भौतिक वस्तुओं का उपयोग करने में भी त्याग की भावना रहनी चाहिये एवं धन के प्रति आसक्ति नहीं रखनी चाहिये। उन्होंने निर्भय होने को अहिंसा का आधार बताया। चैधरी ने कहा कि सात्विक भोजन से सात्विक विचार आयेंगे तथा तामसिक भोजन से तामसिक प्रवृति उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि आज तक जितने भी युद्ध हुये हैं, चाहे रामायण का युद्ध हो या महाभारत का अथवा अन्य युद्धों के पीछे कहीं न कहीं स्त्री रही है। उन्होंने व्यक्ति को अहिंसक रूप से रह कर मनुष्यता का पुजारी बनने का संदेश दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि हिंसा का प्रारम्भ तब होता है, जब हम किसी के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करें। भगवान महावीर ने परस्परता और सह-अस्तित्व को अहिंसा का आधार बताया था। उन्होंने शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष से जीवन विज्ञान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता बताई, ताकि विद्यार्थी अपने जीवन को सर्वांगीण रूप से परिपूर्ण बना सकें। कुलपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में हेंडीक्राफ्ट स्किल डेवलप का कोर्स भी विश्वविद्यालय में शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। शोधपीठ की निदेशक प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने अंत में अपने सम्बोधन में अहिंसा को शाश्वत विषय बताया तथा कहा कि इसकी प्रसंगिकता सदैव ही बनी रहेगी। उन्होंने अहिंसा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की आवश्यकता बताई।
हिंसा व अहिंसा को अलग-अलग करना मुश्किल
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि तेरापंथ महासभा जोधपुर के ट्रस्टी दिलीप सिंघवी ने कहा कि आज के युग में केवल अहिंसा से हीे आत्मिक शांति मिल सकती है। उन्होंने अपरिग्रह व समता के भाव को अहिंसा के लिये आवश्यक बताया। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय अजमेर के गणित विभागाध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार बिस्सू ने कहा कि अहिंसा की प्रसंगिकता इस सृष्टि के रहने तक रहेगी। उन्होंने किसी भी कार्य या व्यवसाय के प्रति ईमानदार नहीं रहने एवं उसे पूरा नहीं करने को भी हिंसा बताया। संस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. महावीर राज गेलड़ा ने पाश्चात्य संस्कृति के आगमन को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि हिंसा व अहिंसा को अलग नहीं किया जा सकता है। जहां हिंसा होगी, वहां अहिंसा भी होगी और जहां अहिंसा होती है, वहां हिंसा का भी अस्तित्व होता है। इन्हें अलग करने के बजाये अहिंसा के अंश को बढाने का प्रयास करना चाहिये। कार्यक्रम की शुरूआत समणी वृंद के मंगलसंगान के साथ किया गया। अतिथियों का स्वागत शाॅल ओढा कर, स्मृति चिह्न प्रदान करके एवं साहित्य भेंट करके किया गया। व्याख्यान-माला में संस्थान के कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, प्रो. दामोदर शास्त्री, वित अधिकारी आर.के. जैन, प्रो. बी.एल. जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, चांद कपूर सेठी, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. अनिता जैन, डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. विकास शर्मा, सुनीता इंदौरिया आदि उपस्थित थे।
Latest from
- संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर समारोह का आयोजन
- हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता में मीनाक्षी बाफना प्रथम व प्रकृति चैधरी द्वितीय रही
- ‘जैन आचार सिद्धांतों का उद्भव एवं विकास’ पर व्याख्यान आयोजित
- राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन प्रोग्राम पर किया छात्राध्यापिकाओं को जागरूक
- तीर्थंकर ऋषभदेव के यागदान को लेकर व्याख्यानका आयोजन
- स्वयंसेविकाओं को बताए आत्मरक्षा के उपाय
- इच्छाओं पर नियंत्रण से ही शांति संभव- प्रो. सुषमा सिंघवी,
- जैविभा विश्वविद्यालय में कवि सम्मेलन में कवियों ने हंसाया, गुदगुदाया, वीर रस से किया ओतप्रेात, खूब लूटी तालियों की गड़गड़ाहट
- दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताई शांति की पृष्ठभूमि और प्रतिस्थापना के उपाय
- दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताई शांति की पृष्ठभूमि और प्रतिस्थापना के उपाय
- जैन विश्वभारती संस्थान का 35वें स्थापना दिवस समारोह आयोजित।
- कौशल कार्यशाला में एआई की महता, उपयोग और जागरूकता का दिया प्रशिक्षण
- फिट इंडिया मिशन के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम में यौगिक क्रियाओं एवं प्रेक्षाध्यान का किया अभ्यास
- जैन विश्व भारती संस्थान में चल रहे सात दिवसीय शिविर का समापन
- महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन
- स्वयंसेविकाओं ने ‘समाज में बढती अपराध प्रवृति’ पर निबंध लिख कर रखे अपने विचार
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- ‘मेरा प्रथम वोट- मेरा देश’ अभियान के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने ली शपथ
- सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
- सस्थान में आईसीपीआर की ओर से वैश्वीकरण की नैतिकता पर व्याख्यान आयोजित
- संस्थान के 14वें दीक्षांत समारोह का अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में वाशी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र में भव्य आयोजन
- छिपोलाई बालाजी मंदिर परिसर में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें अभियान’ के तहत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
- दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़
- एंटी रैगिग को लेकर विशेष बैठक आयोजित
- साइबर सिक्योरिटी पर ऑनलाइन पावर पॉइंट प्रतियोगिता आयोजित
- गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया
- विश्व योग दिवस पर किया सामुहिक योगाभ्यास
- केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का समारेाह पूर्वक अभिनन्दन
- अहिंसा एवं शांति विभाग में फेयरवेल पार्टी का आयोजन
- पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम