कुलाधिपति सावित्री जिन्दल ने किया जैन विश्वभारती संस्थान का अवलोकन, 21 लाख की राशि निजी स्तर पर भेंट की
संतों की कृपा से शिक्षा के साथ संभव है नैतिक मूल्यों का प्रसार- जिन्दल
लाडनूँ, 18 जुलाई 2019। विख्यात महिला उद्योगपति और जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की कुलाधिपति सावित्री जिन्दल ने कहा है कि जहां संतों के चरण होते हैं, वहां का पूरा वातावरण नैतिक हो जाता है। यह विश्वविद्यालय भी संतों की कृपा और आध्यात्मिक वातावरण में शिक्षा के साथ मानवीय मूल्यों के प्रसार का कार्य देश भर में सफलता के साथ कर रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय का सहयोग निजी स्तर पर करते हुये 21 लाख की राशि भेंट की। वे यहां हिसार से अपने एक दिवसीय प्रवास कार्यक्रम में लाडनूँ आई थी। उन्होंने यहां समस्त संकाय सदस्यों और संस्थान के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उनका यहां भावभीना स्वागत किया और उन्हें विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में जानकारी दी। प्रो. दूगड़ ने बताया कि जैन विश्वभारती संस्थान में इस सत्र में संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मशताब्दी वर्ष में आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल काॅलेज आफ नेचुरोपैथी एंड योग का शुभारम्भ करने जा रहे हैं। उन्होंने यहां दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के लिये पृथक भवन और महिला छात्रावास के विस्तार के लिये भवन की योजना भी प्रस्तुत की। कुलपति ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों की विशेषतायें बताई तथा कहा कि यहां जैन विद्या, प्राच्य विद्या, प्राकृत व संस्कृत भाषाओं, दर्शन, अहिंसा व शांति, योग एवं जीवन विज्ञान आदि विशिष्ट विषयों का अध्ययन-अध्यापन होने से यह अन्य सभी विश्वविद्यालयों से बिलकुल अलग है। यहां विद्यार्थियों को परम्परागत शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों को जीना सिखाया जाता है। बैठक का संचालन करते हुये दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की विशेषताओं को रेखांकित किया और यहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के बारे में भी बताया तथा कहा कि यहां के योग व जीवन विज्ञान विषय के विद्यार्थियों ने 7 विश्व रिकार्ड कायम किये हैं। यहां देश भर से बड़ी संख्या में साधु-साध्वियां, उम्रदराज व्यक्ति तक अध्ययन करके उच्च डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां से पढ कर 80-80 साल तक के बुजुर्गों ने एम.ए. किया है। उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के विविध पाठ्यक्रमों के बारे में भी उन्हें अवगत करवाया।
विश्वविद्यालय का किया अवलोकन
कुलाधिपति सावित्री जिन्दल यहां विश्वविद्यालय में कुछ देर के लिये अपने चैम्बर में बैठी तथा उसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रशासनिक भवन, डिजीटल स्टुडियों, लेंग्वेज लैब, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, छात्राओं के लिये संचालित जिम, कम्प्यूटर लैब, विशाल ऑडिटोरियम, एटीडीसी सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, एनसीसी व एनएसएस की गतिविधियों का निरीक्षण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की विशाल लाईब्रेरी, आर्ट गैलरी का अवलोकन भी किया तथा जैन विश्व भारती के सचिवालय भी पहुंची। उन्होंने यहां भिक्षु विहार में विराजित मुनिश्री देवेन्द्र कुमार के दर्शन भी किये और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। उनके साथ कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, डीन के.एस. भारती, जैन विश्व भारती के सहमंत्री जीवनमल मालू, पूर्व ट्रस्टी भागचंद बरड़िया, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, विशेषाधिकारी दीपाराम खोजा, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अहिंसा व शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, प्राकृत व संकृत विभाग के विभागाध्याक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री, योग व जीवन-विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष समणी मल्लीप्रज्ञा, अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान एवं अन्य सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे। कुलाधिपति जिन्दल की अगवानी गुरूवार प्रातः सालासर में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. त्रिपाठी के नेतृत्व में की गई। सालासर से वे लाडनूँ पहुंची। यहां विश्वविद्यालय स्थित शुभम गेस्ट हाउस मे उनका भावभीना स्वागत किया गया। उनके आगमन के अवसर पर एनसीसी की कैडेट्स ने सलामी दी।
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