जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित

आत्मशक्ति व राष्ट्रप्रेम से सराबोर थे नेताजी सुभाष बोस

लाडनूँ, 23 जनवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करके मनाया गया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि आत्मविश्वास, आत्मशक्ति, सूझबूझ एवं राष्ट्रप्रेम की भावना उनमें प्रबल थी। नेताजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुत ही निराला था। उन्होंने नेताजी के जीवन से मिलने वाली ग्रहणीय शिक्षाओं से अवगत कराया। प्रो. अनिल धर ने कहा कि सर्वप्रथम गांधीजी को नेताजी ने ही संबोधित किया था। नेताजी में राष्ट्रप्रेम, देश प्रेम, देशभक्ति और स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था। विदेशी शासन से मुक्त कराने की भावना और देशवासियों में निडर रहने का साहस उन्होंने जाग्रत किया। प्रो. बी.एल.जैन ने कहा कि नेताजी जवानों में प्राण फूंकने वाले थे। पूरा देश उनके जन्म दिवस को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मना रहा है। उन्होंने गुलामी को कभी जीवन में नहीं अपनाने पर बल दिया था। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अमिता जैन ने कहा कि मनुष्य को अपने उद्देश्य की प्राप्ति करनी चाहिए। इसके लिए श्रद्धा और आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है। छात्राध्यापिका रुबीना, शोभा स्वामी और नेहा पारीक ने भी अपने अपने भावों को भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी.प्रधान, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. गिरधारी लाल, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. ममता सोनी, प्रमोद ओला, ललित कुमार आदि संस्थान के समस्त संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनोद सियाग ने किया।

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