आचार्य महाप्रज्ञ के 13वें महाप्रयाण दिवस पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन
समय की प्रतिबद्धता है जीवन का सबसे बड़ा सूत्र- प्रो. दूगड़
लाडनूँ, 26 अप्रेल 2022। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के द्वितीय अनुशास्ता एवं तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें आचार्य युगदृष्टा आचार्य महाप्रज्ञ के 13वें महाप्रयाण दिवस पर यहां एक कार्यक्रम आयोजित करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की डॉ. लिपि जैन द्वारा लिखित पुस्तक ‘विकासः गांधी एवं आचार्य महाप्रज्ञ दृष्टि’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन का सबसे बड़ा सूत्र समय की प्रतिबद्धता को बताते हुए उसके पालन की आवश्यकता बताई। उन्होंने समय की नियमितता को जीवन प्रबंधन के लिए आवश्यक कहा और बताया कि एक छोटे साधारण से बालक की आचार्य महाप्रज्ञ बनने तक की यात्रा योजनाबद्ध तरीके से ही संभव हो पाई थी। उनके जीवन से हर युवा को प्रेरणा मिलती है। उन्हें आधुनिक विवेकानन्द और राधाकृष्ण कहा जाने लगा और राष्ट्रपति रहे मिसाइलमैन डॉ. अब्दुल कलाम ने भी उनके साथ मिलकर ‘सुखी परिवार और समृद्ध राष्ट्र’ पुस्तक की रचना की और उनसे अहिंसा की प्रेरणा ली और विध्वंसक के बजाए शांति की मिसाईल के लिए तत्पर हो गए थे। उनकी उत्तर आधेनिक सोच ‘भविष्योन्मुखी पोषणक्षम विकास’ के लिए प्रेरणा है। वे कहते हैं, पोषणक्षम विकास के लिए ऊर्जा का न्यूनतम प्रयोग हो, शरीरिक श्रम को महत्व मिले, वस्त्ुओं का मिताहरण हो तथा स्वैच्छिक सादगी और संयम को बढावा दें। सभ्यताओं के बीच संघर्ष टालने एवं अन्तर्राष्ट्रीय संवाद स्थापित करने के लिए उन्होंने जो पहल की, उसकी छाप संयुक्त राष्ट्र में लिए गए निर्णयों में भी स्पष्ट परिलक्षित होती है। प्रो. नलिन के. शास्त्री ने आचार्य महाप्रज्ञ को अलौकिक चेतना पुरूष की संज्ञा देते हुए उनके जीवन में प्रज्ञा व योग के संतुलन, तपस्या की प्रतिबद्धता, जैन योग के प्रतिपादक, प्रेक्षाध्यान के प्रवर्तक बताते हुए आंतरिक चेतना की विशुद्धि पर केन्द्रित रहते हुए भी वैश्विक समस्याओं के समाधान पस्तुत करने वाले अद्वितीय चिन्तक बताया। प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन के विभिन्न अविस्मरणीय प्रसंगों को प्रस्तुत किया तथा उनके बचपन से लेकर अल्पायु में दीक्षा की दृढता, मुनि नथमल बनने और फिर महाप्रज्ञ व युवाचार्य से आचार्य बनने का सफर विश्लेषित किया। उन्होंने महाप्रज्ञ की पुस्तकों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महावीर का अर्थशास्त्र, महावीर का स्वास्थ्य शास्त्र, लोकतंत्र व समाज शास्त्र, वाक्य रचना शैली, दर्शन की पुस्तकें आदि विचार दर्शन पढने से उनकी हर विषय में विशेषज्ञता प्रकट होती है।
महाप्रज्ञ के विकास सम्बंधी विचारों पर पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम में डॉ. लिपि जैन की पुस्तक ‘विकास: महात्मा गांधी व आचार्य महाप्रज्ञ दृष्टि’ का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। पुस्तक की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए डॉ. लिपि जैन ने बताया कि इसमें छह अध्यायों में विकास की अवधारणा और व्यावहारिकता को महात्मा गांधी और आचार्य महाप्रज्ञ के विचारों के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। इसमें वर्तमान आधुनिक अर्थशास्त्र और जीवन शैली, गांधी व महाप्रज्ञ के सात्विक चिंतन, गांधीवादी दृष्टि से विनाश रहित विकास, आचार्य महाप्रज्ञ की विकास की परिकल्पना- सापेक्ष अर्थशास्त्र और जीवन शैली उन्न्त बनाने के उपाय, वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में उपभोक्तावादी प्रवृति से बाहन निकलने के उपाय आदि पर विवेचन किया गया है। कार्यक्रम में डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने भी महाप्रज्ञ के जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डाला और उनकी महावीर की साधना पद्धति और जवन विज्ञान की शिक्षा पद्धति के बारे में बताया। कार्यक्रम में छात्राओं हर्षिता पारीक, स्मृति कुमारी व निधि दौलावत ने भी आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन व विचारों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रो. बीएल जैने किया तथा अंत में कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने आभार ज्ञापित किया।
Latest from
- संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर समारोह का आयोजन
- हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता में मीनाक्षी बाफना प्रथम व प्रकृति चैधरी द्वितीय रही
- ‘जैन आचार सिद्धांतों का उद्भव एवं विकास’ पर व्याख्यान आयोजित
- राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन प्रोग्राम पर किया छात्राध्यापिकाओं को जागरूक
- तीर्थंकर ऋषभदेव के यागदान को लेकर व्याख्यानका आयोजन
- स्वयंसेविकाओं को बताए आत्मरक्षा के उपाय
- इच्छाओं पर नियंत्रण से ही शांति संभव- प्रो. सुषमा सिंघवी,
- जैविभा विश्वविद्यालय में कवि सम्मेलन में कवियों ने हंसाया, गुदगुदाया, वीर रस से किया ओतप्रेात, खूब लूटी तालियों की गड़गड़ाहट
- दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताई शांति की पृष्ठभूमि और प्रतिस्थापना के उपाय
- दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताई शांति की पृष्ठभूमि और प्रतिस्थापना के उपाय
- जैन विश्वभारती संस्थान का 35वें स्थापना दिवस समारोह आयोजित।
- कौशल कार्यशाला में एआई की महता, उपयोग और जागरूकता का दिया प्रशिक्षण
- फिट इंडिया मिशन के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम में यौगिक क्रियाओं एवं प्रेक्षाध्यान का किया अभ्यास
- जैन विश्व भारती संस्थान में चल रहे सात दिवसीय शिविर का समापन
- महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन
- स्वयंसेविकाओं ने ‘समाज में बढती अपराध प्रवृति’ पर निबंध लिख कर रखे अपने विचार
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- ‘मेरा प्रथम वोट- मेरा देश’ अभियान के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने ली शपथ
- सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
- सस्थान में आईसीपीआर की ओर से वैश्वीकरण की नैतिकता पर व्याख्यान आयोजित
- संस्थान के 14वें दीक्षांत समारोह का अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में वाशी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र में भव्य आयोजन
- छिपोलाई बालाजी मंदिर परिसर में पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें अभियान’ के तहत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित
- दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़
- एंटी रैगिग को लेकर विशेष बैठक आयोजित
- साइबर सिक्योरिटी पर ऑनलाइन पावर पॉइंट प्रतियोगिता आयोजित
- गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया
- विश्व योग दिवस पर किया सामुहिक योगाभ्यास
- केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का समारेाह पूर्वक अभिनन्दन
- अहिंसा एवं शांति विभाग में फेयरवेल पार्टी का आयोजन
- पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम