ज्ञान की साधना करें और उसे व्यव्हार में अपनाएं- प्रो. जैन
लाडनूँ, 13 जुलाई 2022। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत गुरु पूर्णिमा पर्व पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि ज्ञान का दान सर्वोच्च होता है, इसीलिए गुरु श्रेष्ठ होते हैं। अच्छा गुरु शिष्यों के दोषों, उनकी कमजोरियों का निवारण करने हेतु निरंतर प्रयत्नशील होता है। जीवन में सम्मान एवं सफलता प्राप्त करने हेतु ज्ञान की साधना करें तथा उसे व्यवहार में अपनाना, साथ ही निरंतर परिश्रम करते रहना आवश्यक होता है। डॉ. गिरधारीलाल शर्मा ने गुरु पूर्णिमा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष पर प्रकाश डाला तथा भारतीय सनातन संस्कृति में आदर्श गुरु-शिष्य परम्परा के महत्त्व को बताया। डॉ. अमिता जैन तथा डॉ. विष्णु कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर छात्राध्यापिकाओं ने अपने शिक्षकों का सम्मान किया। छात्राध्यापिकाओं ने हर्षिता पारिक, साक्षी शर्मा, शिवानी पूनियां, ललिता बिडियासर, अभिलाषा तथा सना ने गुरु महिमा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु को भगवान के तुल्य बताया तथा कहा कि वे अपने अनुभवों से हमें जीवन में निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर होने हेतु प्रेरित करते हैं तथा सफल जीने की कला सिखाते हैं। हमंे अपने गुरुओं के प्रति हमेशा सम्मान का भाव रखना चाहिए। अंत में डॉं. गिरधारी लाल शर्मा ने आभार ज्ञज्ञपित किया। कार्यक्रम का संचालन दिव्या तथा सपना द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉं सरोज राय, डॉं आभा सिंह, डॉं गिरिराज भोजक, डॉं अजीत पाठक, प्रमोद ओला, खुशाल जांगिड एवं समस्त संकाय सदस्य व विद्यार्थी उपस्थित रहे।