क्षमा के आदान-प्रदान से बन सकता है कार्य-व्यवहार और जीवन शुद्ध- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूं का अनोखा विश्वविद्यालय, जहां कुलपति अपने विद्यार्थियों और पूरे स्टाफ से सार्वजनिक क्षमा मांगते हैं और चलता है क्षमा का आदान-प्रदान

लाडनूँ, 09 सितम्बर 2024। जैन विश्वभारती संस्थान ऐसा पहला विश्वविद्यालय है, जब यहां का कुलपति अपने समस्त कर्मचारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों आदि से सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना करता हैं। केवल कुलपति ही नहीं यहां के सभी प्रोफेसर्स, व्याख्याता आदि और सभी स्टाफ के लोग भी परस्पर क्षमाचयाचना करते हैं। विद्यार्थीगण भी सभी से क्षमायाचना करते हैं। यह विशेष कार्यक्रम सोमवार को यहां देखने को मिला, जब खमत-खामणा दिवस मनाया गया। यह अवसर साल में एक बार आता है, जिसमें बीते पूरे एक साल के दौरान किसी भी तरह से जाने-अनजाने हुई गलतियों, एक-दूसरे को पहुंची पीड़ाओं आदि के लिए सब एक-दूसरे से क्षमा याचना करते हैं। गौरतलब है कि जैन समाज के आत्मशुद्धि के पर्व पर्युषण महापर्व के तहत त्याग, तपस्या, उपवास, प्रतिक्रमण, सामायिक आदि के बाद अंतिम दिवस क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया जाता है। इसे खमत खामणा दिवस कहते हैं। इस दिन यह सब अपने आत्मीय भावों से केवल परस्पर सहकर्मियों-सहपाठियों से ही नहीं, बल्कि सृष्टि के समस्त जीवनमात्र के प्रति क्षमा का भाव अभिव्यक्त किया जाता है।

सभी ने मांगी परस्पर क्षमा

यहां महाप्रज्ञ सभागार में सोमवार को पर्युषण पर्वाराधना कार्यक्रम के तहत खमत खामण दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने सबसे अंतःकरण से क्षमायाचना करते हुए बताया कि भारतवर्ष और जैन धर्म का यह अद्वितीय पर्व है। विश्वभर के राजनेताओं का कहना है कि अगर यह त्यौहार वैश्विक स्तर पर दिल से मनाया जाए, तो दुनिया की बहुत सारी समस्याएं हल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह एक अवसर है, जब किसी भी गलती के लिए परस्पर क्षमा का आदान-प्रदान करके अपने कार्य-व्यवहार और जीवन को शुद्ध बनाया जा सकता है। इस अवसर पर क्षमा मांगने के साथ क्षमा देने का भाव भी रहता है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्षों द्वारा क्षमायाचना की गई और उन विभागों की छात्राओं ने भी क्षमाचायना की। प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. जिनेन्द्र कुमार जेन, प्रो. बीएल जैन, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डा. बलबीर सिंह चारण, डा. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, विताधिकारी आरके जैन, परीक्षा नियंत्रक डा. युवराज सिंह खंगारोत, छात्राओं मीनाक्षी भंसाली, माया कंवर, अभिलाषा आदि ने अपने सम्बोधन में सबसे क्षमायाचना की। कार्यक्रम का प्रारम्भ ईर्या जैन के मंगलाचरण से किया गया। अंत में कुलसचिव डा. अजयपाल कौशिक ने आभार ज्ञापित करते हुए क्षमा को मनुष्य के 16 गुणों में से सबसे श्रेष्ठ गुण बताया। कार्यक्रम में प्रो. लक्ष्मीकांत व्यास, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. लिपि जैन, डाॅ. विनोद कस्वा, डाॅ. स्नेहलता जोशी, डाॅ. जेपी सिंह, दीपाराम खोजा, पंकज भटनागर, डाॅ. मनीष भटनागर, प्रगति चैरड़िया आदि उपस्थित रहे।

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