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जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित

मस्तिष्क को दिये गये सकारात्मक सुझावों का होता है जीवन में प्रभाव- समणी सत्यप्रज्ञा

लाडनूँ, 23 नवम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग की समणी सत्यप्रज्ञा ने यहां सेमिनार हाॅल में आयोजित एक दिवसीय अहिंसा प्रशिक्षण शिविर में अहिंसा प्रशिक्षण की आवश्यकता और महत्व के बारे में बताया तथा कहा कि हमारे द्वारा दिये जाने वाले समस्त सकारात्मक सुझावों को मस्तिष्क अपने चेतन-अवचेतन में संग्रहित करता है और उनका प्रभाव हमारे जीवन में दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने महाप्राण ध्वनि के महत्व और उसके मनुष्य पर होने वाले प्रभावों को भी अपने सम्बोधन में रेखांकित किया। अध्यक्षता करते हुये अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा केवल अहिंसा प्रशिक्षण द्वारा ही संभव हो सकती है। उन्होंने देश की संस्कृति को अहिंसा एवं शांति की संस्कृति बताते हुये कहा कि हमारी परम्परा में अहिंसा के भाव रहे हैं और उनके कारण शांति स्थापना संभव है। प्रो. धर ने मोबाईल फोन के बढते प्रचलन और उसके दुरूपयोग पर चिंता जताते हुये सभी प्रतिभागियों से मोबाईल के दुरूपयोग को रोकने के लिये प्रेरित किया। विभाग के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों कल्पना, रेणु, पूजा आदि ने भी अहिंसा प्रशिक्षण की पद्धति और उससे होने वाले परिवर्तनों के बारे में बताया। मदर्स इंटरनेशनल सैकेंडरी स्कूल सुजानगढ के प्रधान गजेन्द्र सिंह व संजय जैन ने जैविभा विश्वविद्यालय को जैन आचार्यों के विचारों का मूर्त स्वरूप बताया तथा कहा कि आचार्य तुलसी, महाप्रज्ञ व महाश्रमण के विचार वर्तमान में प्रासंगिक हैं, तथा उनका आचरण आवश्यक है। शिविर में संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने ध्यान एवं यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करवाया और उनके लाभ बताये। शिविर में आरती वर्मा, अंजना पारीक, सीमा राजपुरोहित, संजय जैन, कमल किशोर, मोनिका भाटी, राखी प्रजापत, हरफूल, हीरालाल आदि के अलावा मदर्स इंटरेनशनल स्कूल सुजानगढ के 90 विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. समणी रोहिणीप्रज्ञा ने किया। अंत में डाॅ. विकास शर्मा ने आभार ज्ञापित किया।

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