सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है नैतिकता- प्रो. बीएम शर्मा
लाडनूँ, 5 मार्च 2024। इंडियन कौंसिल आफ फिलोसोफिकल रिसर्च (आईसीपीआर) नई दिल्ली के सौजन्य से वैश्वीकरण की नैतिकता विषय पर आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय व्याख्यान के दूसरे दिवस मुख्य वक्ता आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीएम शर्मा ने कहा है कि नैतिकता के चारों और समस्त चीजें घूमती है, लेकिन आज नैतिकता की ही कमी नजर आ रही है। लोकसेवाओं में नैतिकता के पेपर को अनिवार्य बनाया गया है। आईपीएस और आरएएस के लिए यह जरूरी है कि वे समाज के नैतिकता को कैसे कायम रख पाएं। उन्होंने बताया कि नैतिकता दर्शनशास्त्र का विषय है, लेकिन यह एक विज्ञान भी है। सामाजिक विज्ञान में आदर्श मूलक व्यवस्था नैतिकता के बूते पर ही संभव है। नैतिकता आदर्श समाज व आदर्श राजनीति के लिए आवश्यक है। हमें इसके लिए अपने मूल्यों, संस्कृति व धर्म की रक्षा करनी होगी, तभी स्थिति में सुधार हो पाएगा। उन्होंने ग्लोबाईजेशन के प्रभावों को बताते हुए उसके दुष्परिणाम भी गिनाए और कहा कि बदलते और वैश्विक बनते रहन-सहन, ब्रांडेड वस्त्रों, एक जैसी सोच आदि वैश्विकरण का परिणाम है। लेकिन, विकृत होते समाज, विखंडित होते परिवार, क्षीण होती मर्यादाओं और अनिर्णय की स्थिति में परस्पर सम्मान और एक दूसरे की प्रगति में सहभागी बनने की नीति को नैतिकता के बते पर ही हासिल किया जा सकता है। नैतिकता सुख, आनन्द और प्रसन्नता का विज्ञान है।
ग्लोबाईजेशन से सुविधाओं के साथ मुश्किलें भी बढी
उन्होंने अपने व्याख्यान में राष्ट्रों की सम्प्रभुता भी वैश्वीकरण के दौर में नष्टप्रायः होने की ओर संकेत किया और बताया कि आज जी-7, जी-20, आईएमएफ, यूएनओ आदि के प्रभाव में राष्ट्रों की नीतियां बनने लगी हैं। आज राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक बन गई है। ग्लोबाईजेशन से सुविधाएं बढी हैं, तो मुश्किलें भी पैदा हुई हैं। युवाओं को शिक्षा, संगठन व प्रतिबद्धता की सीख दिए जाने से ही देश की उन्नति संभव है। हमारे युवाओं को देश के विकास में काम लिया जा सके, इसकी नीति देश के लिए तैयार होनी चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान की सराहना की और इसे नैतिकता के लिए अपनी तरह से काम करने वाला एकमात्र संस्थान बताया और कहा कि राजस्थान में सबसे अधिक विश्वविद्यालय हैं और कालेजों की संख्या में भी राजस्थान चैथे नम्बर पर है, लेकिन इन सबके बीच यह संस्थान तपस्वी मुनियों-आचार्यों के अनुशासन में इस क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहा है।
नैतिकता में है समस्त समस्याओं का समाधान
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जैविभा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि मानवीय सम्बंधों की विसंगतियों का समाधान ढूंढना ही ‘एप्लाइड एथिक्स’ है। वैश्विक सम्बंधों में इस विषय का प्रादुर्भाव हुआ है और इसमें एथिक्स के अनेक विषय सामने आए हैं। आज ग्लोबल वीलेज और ग्लोबल सोसायटी की स्थिति साकार हुई है। विश्व के एक परिवार के रूप में सामने आने से हम दुनिया के किसी भी हिस्से में घटने वाली घटना से अछूते नहीं रह सकते। यह ग्लोबल इफेक्ट है कि कहीं एक पता भी टूुटता है, तो उसका प्रभाव हम पर होता है। उन्होंने ग्लोबाईजेशन के दुष्परिणाम भी बताए और कहा कि परिवार और वैवाहिक स्थितियों तक में बदलाव आ गया है। इस सारे प्रभाव को रोकने का काम एथिक्स करता है। नैतिकता ही समस्याओं का समाधान कर सकती है, हमारा आचरण सबके लिए स्वीकार्य बने, हम यु़द्ध की स्थिति से बच सकें, यह सब नैतिकता द्वारा ही संभव है। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन और ऐश्वर्या व समूह के स्वागत गीत से किया गया। प्रारम्भ में रजिस्ट्रार प्रो. बीएल जैन ने अतिथि परिचय व स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। अंत में डा. गिरधारीलाल शर्मा ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डाॅ. अमिता जैन ने किया। कार्यक्रम में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. जिनेन्द्र जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. रामदेव साहू, डाॅ. प्रगति भटनागर, डाॅ. आभासिंह, श्वेता खटेड़, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. जेपी सिंह, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. विनोद कस्वां, डाॅ. बलवीर सिंह, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, जगदीश यायावर आदि एवं समस्त छात्राएं उपस्थित रहे।
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