इंटरनेशनल समर स्कूल ऑन जैनिज्म के 21 दिवसीय कोर्स का समापन

जैन विद्या के सूत्रों से बदल सकता है जीवन - प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 10 अक्टूबर, 2017। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि जैन विद्या में अनेक ऐसे सूत्र हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। विद्यार्थी सुदूर से चलकर यहां जैन विद्या सीखने के लिये निरन्तर आते रहते हैं और वे उन्हें न केवल अपने जीवन में उतारते हैं, बल्कि उनसे दूसरे लोग भी प्रभावित होते हैं। वे यहाँ महादेवलाल सरावगी अनेकांत शोधपीठ तथा जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म तथा दर्शन विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय इण्टरनेशनल समर स्कूल प्रोग्राम ऑन अंडरस्टेंडिंग जैनिज्म के कोर्स के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंनं प्रोग्राम में भाग लेने वाले विद्यार्थियों से कहा कि उन्होंने यहाँ पर जो कुछ सीखा है, उसे अपने जीवन में उतारें और अपने अनुभवों को देश में जाकर अन्य विद्यार्थियों को भी बतावें और उन्हें भी प्रेरित करें कि वे अगले इण्टरनेशनल समर स्कूल में यहाँ आकर अवश्य भाग लेवें। उन्होंने इस अवसर पर प्रोग्राम में भाग लेने वाले घेंट युनिवर्सिटी बेल्जियम की छात्राओं केटो फ्रेंकी व नैकी रिटा को प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इस अवसर पर शोधपीठ की निदेशक समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि पिछले 11 सालों से अनेकांत शोधपीठ के तत्त्वावधान में इण्टरनेशनल समर स्कूल प्रोग्राम संचालित किया जा रहा है, जिसमें विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लेकर जैन विद्या को सीखा है। उन्होंने जैन विद्या के अनेकांत व अहिंसा के सिद्धान्तों को विश्व की अमूल्य धरोहर बताते हुये कहा कि इनका व्यापक प्रसार दुनिया के मानव मात्र को बदलने की ताकत रखते हैं और ये हर समस्या का समाधान करने में सहायक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से सीखने के बाद अपने देश में इसका प्रचार करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संयोजन पीठ के सहायक निदेशक डाॅ. योगेश जैन ने किया।

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