साईबर सिक्योरिटी पर व्याख्यान आयोजित
झूठे दिखावे से बेहतर है कि अपराधी की पहचान कर तिरस्कार करें- सीआई राजेंद्र सिंह
लाडनूँ, 25 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) स्थित आचार्य महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान के अन्तर्गत स्थानीय पुलिस थाने के थानाधिकारी राजेन्द्रसिंह कमांडो ने साईबर सिक्योरिटी पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि किसी भी डिवाइस, मशीन या उपकरण का प्रयोग करके किया गया अपराध साईबर क्राईम है, जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। ये साईबर अपराध चार तरीकों से किया जाता है। इनमें सोशल साईट्स के माध्यम से, फाईनेंसियल एप्लीकेशन से किए अपराध, ईमेल द्वारा अपराध कारित करने और वेबसाइटों के माध्यम से अपराध करना शामिल हैं। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता और समाजसेवी भागचंद बरड़िया के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित इस व्याख्यान में सीआई राजेन्द्र सिंह ने 32 प्रकार की सोशल साईटों, पेटीएम, फोनपे आदि 15 फाईनेंसियल एप्प, टोलफ्री नम्बरों, ट्रू कॉलर आदि के माध्यम से होने वाली ठगी आदि विभिन्न वारदातों की जानकारी देते हुए उनसे बचने के उपाय भी बताए।
ये बताए सिक्योरिटी के उपाय
थानाधिकारी ने साईबर अपराध से बचने के लिए अपनी प्राईवेसी को गोपनीय रखने, निजी फोटो शेयर नहीं करने, अपनी फ्रेंडलिस्ट शो नहीं करने, अनजान लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजने, किसी की सही जानकारी के बिना फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करने, कहीं सफर में जाने की फोटो व जानकारी स्टेटस में नहीं लगाने, अपनी लाईव लोकेशन को शेयर नहीं करने, किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करने, नेट पर आने वाले लुभावने प्रलोभनों में नहीं फंसने, किसी तरह के लालच से दूर रहने, किसी आकर्षक न्यूज लिंक को भी नहीं खोलने की सलाह देते हुए सीआई ने बताया कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी, फोटो और डाटा चुराने से बचाने की जरूरत है। उन्होंने स्मार्टफोन में सभी निरर्थक एप्प डाउनलोड नहीं करने, मोबाइल में अधिक एप्लिकेशन नहीं रखने और उन्हें डिलीट करने, गेम हटाने, सब आवश्यक एप्प के लिए लोक रखने, अपने नाम या मिलते-जुलते नाम से बनी फेसबुक आईडी की रिपोर्ट करके उसे बंद करवाने, पासवर्ड या कोड को सरल व मिलता-जुलता नहीं रख कर दस से अधिक अक्षरों, अंकों व सिम्बलों के सामंजस्य से बनाने और हर साल पासवर्ड बदलते रहने की सलाह दी।
अपराधी का सामाजिक तिरस्कार जरूरी
सीआई राजेन्द्र सिंह ने सोशल मीडिया पर जाति-धर्म और परस्पर वैमनस्यता सम्बंधी पोस्ट पर प्रतिबंध के लिए समाज की जिम्मेदारी आवश्यक बताई तथा कहा कि झूठे सामाजिक सरोकार का दिखावा करने वाले और सस्ती लोकप्रियता के लिए कुछ लोग अनुचित पोस्ट और शेयर करते हैं। किसी को भी किसी जाति-धर्म के लिए कुछ भी गलत कहने का कोई अधिकार नहीं होता। अगर धार्मिक भावनाओं को कोई सोशल साईट पर डालता है, तो उसे आईडल नहीं बनाया जाना चाहिए। अपराधी की पहचान करके प्रशासन को सूचित करें और ऐसे व्यक्ति का सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। साईबर क्राईम का हिस्सा बनने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे आपतिजनक मैसेज, फोटो या वीडियो को पोस्ट करने, उसे पढने और शेयर करने वाला भी बराबर का अपराधी होता है। ऐसी पोस्ट आने पर उसे शेयर नहीं करें। पोस्ट करने वाले व्यक्ति को रिमूव करें और पोस्ट को तत्काल डिलीट करें। इस सम्बंध में बीट ऑफिसर, सीएलजी सदस्य और पुलिस थाने में दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसी पोस्ट को या रिपोर्ट को प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी पोस्ट का स्क्रीन-शॉट लेने से पूर्व उस व्यक्ति को अपनी कॉंटेस्ट लिस्ट से डिलीट करके उसके नाम के बजाए केवल नम्बर के साथ स्क्रीन शॉट लें, ताकि वह बच नहीं सके
भुगतने से बेहतर है बचाव करना
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने आज अधिकतर लोग साईबर अपराध के शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट के कारण जो भुगते हैं, उन्हें इन सब बातों को ग्रहण करके सावधानी बरतनी चाहिए, जो भुगतने से बेहतर है। जो टिप्स सीआई ने बताए हैं, वे बचाव के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने पुलिस को जनता की सहायक बताते हुए कहा कि पुलिस से दूर रहने सोच पुरानी हो गई है, अब पुलिस को मित्र बना कर चलने की जरूरत है। अंत में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने आभार ज्ञापित करते हुए राजेन्द्रसिंह के व्याख्यान को उपयोगी बताया। कार्यक्रम में नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष याकूब शेख, पार्षद अनिल सिंघी, समाज सेवी नरेन्द्र सिंह भूतोड़िया, राजेश विद्रोही, उम्मेदसिंह चारण, विमल विद्या विहार की प्रिंसिपल रचना बालानी, कुल सचिव रमेश कुमार मेहता, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, विताधिकारी आरके जैन, डॉ। प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज, डॉ. प्रगति भटनागर, महिमा जैन आदि उपस्थित रहे।
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