छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित

भारतीय सांस्कृतिक मर्यादाएं लम्बे अंतराल के बाद भी बनी हुई है- प्रो. जयकुमार

लाडनूँ, 11 अक्टूबर 2024। श्रमण संस्कृति संस्थान, जयपुर के प्रो. जयकुमार जैन ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में उल्लेखित मर्यादाएं लम्बे अंतराल के बाद भी आज भी बनी हुई है। संस्कृति का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में आया है, जो आचार, विचार और व्यवहार को लेकर है। आरण्यक में आचार के स्थान पर सदाचार को संस्कृति की विशेषता बताया गया है। हमें अपनी सांस्कृतिक गरिमा को पुनः प्राप्त करना है और इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उद्देश्य भी यही रहता है। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को छात्राध्यापिकाओं द्वारा दुर्गापूजा पर्व पर आयोजित किए गए गरबा महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि प्राचीनतम समय में वेदों और अवेस्ता की विषयवस्तु में देवताओं के साथ देवी की प्रतिष्ठा भी है। उन्होंने दोनों धर्मग्रंथों की साम्यता बताते हुए कहा कि ऋग्वेद और अवेस्ता दोनों का प्रारम्भ एक ही मंत्र से होता है, जो ‘अग्निमीडे पुरोहितं....’ है। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति का प्रसार विश्वभर में था।

पारम्परिक वेशभूषा में डांडिया व अन्य लोकनृत्यों ने धूम मचा दी

गरबा महोत्सव कार्यक्रम में राजस्थानी, हरियाणवी, गुजराती के सुमधुर लोकगीतों के साथ हिन्दी फिल्मों के संस्कृति प्रधान गीतों पर विभिन्न पारम्परिक राजस्थानी-गुजराती ड्रेसों के साथ नृत्यों एवं गरबा डांस की आकर्षक प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम के दौरान पलक एवं ग्रुप, सुप्रिया एवं समूह एवं खुशी एवं समूह सामुहिक नृत्य में गरबा की प्रस्तुति दी। निशिता एवं अनीता एवं प्रियंका व पलक ने युगल नृत्य पेश किए तथा ममता, खुशी जोधा, पूनम व कोमल प्रजापत ने एकल नृत्यों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अपेक्स यूनिवर्सिटी के प्रो. अशोक सिडाना ने संस्कृति के साथ लोकनृत्य के बारे में अपने विचार रखे।

एक महिला पूरे समाज को बदल सकती है

केन्द्रीय वितमंत्री निर्मला सीतारमण की सलाहकार दीवा जैन कोलकाता ने इस अवसर पर छात्राध्यापिकाओं को सम्बोधित करते हुए महिला शक्ति पर विचार रख और कहा कि ण्क महिला पूरे समाज को बदल सकती है। किसी भी परिवार में एक महिला पढी हुई हो ता वह परे परिवार ही नहीं समाज को भी दिशा दे सकती है। इसलिए अपने आप के साबित करो, निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी और सभी ओर से भरपर प्यार भी मिलेगा। कार्यक्रम में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन व प्रो. लक्ष्मीकांत व्यास अतिथियों के रूप में मंचस्थ थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ दुर्गापजन एवं आरती के साथ किया गया। अंत में डाॅ. अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अभिलाषा स्वामी व ज्योति बुरड़क नेे किया। गरबा महोत्सव कार्यक्रम में डाॅ. लिपि जैन, डाॅ. सुनीता इंदौरिया, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. विनोद कस्वां, प्रगति चैरड़िया, खुशाल जांगिड़, देवीलाल, ईर्या जैन, जगदीश यायावर आदि एवं समस्त छात्राध्यापिकाएं उपस्थित रहीं।

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