जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की एनएसएस स्वयसेविकाओं को दी क्रोध नियंत्रण की प्रेरणा

लाडनूँ, 4 फरवरी 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के सात दिवसीय शिविर में स्वयंसेविका छात्राओं को सोमवार को एक विशेष मोटीवेशल प्रोग्राम के तहत आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया का उद्बोधन प्रदान किया गया। आचार्य पाटोदिया ने माता-पिता की सेवा को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि आत्म निंयत्रण रखने से बहुत सारी समस्याओं पर विजय पाई जा सकती है। अपने आप पर काबू करना सबसे मुश्किल कार्य होता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। आचार्य पाटोदिया ने कहा कि क्रोध समस्त समस्याओं की जड़ होता है इसलिये सबसे पहले अपने क्रोध को काबू में करना सीखो। क्रोध पर काबू रखने के लिये उन्होंने विभिन्न प्रयेाग बताये तथा कहा कि इस तकनीक से क्रोध को नियंत्रण किया जा सकता है। शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि एनएसएस की स्वयसेविकाओं को तो क्रोध रखना ही नहीं चाहिये, तभी वे राष्ट्र सेवा में सफल हो सकती हैं। कार्यक्रम में स्वयंसेविकाओं को पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित एक डाॅक्युमेंटरी फिल्म दिखाई गई।

आशु भाशण प्रतियेागिता में स्नेहा रही प्रथम

एनएसएस समन्वयक डाॅ. प्रगति भटनागर ने बताया कि इस शिविर के दौरान एक आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस प्रतियेागिता में प्रथम स्नेहा पारीक, द्वितीय नगीना बानो और तृतीय स्थान पर दिव्यता कोठारी रही। सहायक आचार्य अभिषेक चारण व अपूर्वा घोड़ावत ने इसमें निर्णायक की भूमिका निभाई। शिविर के दौरान डाॅ. सोमवीर सांगवान ने फोनोटक्स के बारे में एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच ने किया।

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