सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर समाज व्यवस्था कायम होने तक की कथा है ऋषभायण
लाडनूँ, 7 सितम्बर 2019। आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में चलाये जा रहे पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हिन्दी व्याख्याता अभिषेक चारण ने महाप्रज्ञ कृत हिन्दी महाकाव्य ‘‘ऋषभायण’’ पर समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर मानव के विकास की गाथा को इस महाकाव्य में समाहित किया गया है। यह जैनधर्म के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव के जीवन-चरित्र पर आधारित काव्य है। इसमें विभिन्न 18 सर्गों में पुस्तक का विभाजन किया गया है, जिनमें यौगलिक युग, ऋषभावतार, राज व्यवस्था, समाज रचना, भरत राज्याभिषेक, ऋषभ दीक्षा, अक्षय तृतीया, केवल ज्ञानोपलब्धि, आत्म सिद्धांत प्रतिपादन, भरत का अयोध्या आगमन, अठानवें पुत्रों का सम्बेाधन, सुन्दरी दीक्षा ग्रहण, युद्ध भूमि में समागम, भरत बाहुबलि का युद्ध, भरत बाहुबलि समर वर्णन एवं ऋषभ निर्वाण शामिल हैं। इसमें आदिम युग और समाज व्यवस्था कायम होने की विभिन्न कथाओं को प्रस्तुत किया गया है। चारण ने बताया कि इस महाकाव्य में ऋषभ को मानवीय सभ्यता का आदि पुरूष बताया गया है और सभ्यता के सृजन को आकर्षक ढग से वर्णित किया गया है। इसमें दो युगों और हर युग के छह-छह आरा का वर्णन किया गया है। इसमें प्रारम्भिक जीवन को वनवासियों का और शांत जीवन दर्शाया गया है। इसमें तत्कालीन दंड व्यवस्था, नियमादि और शासन व्यवस्था की शुरूआत को भी दर्शाया गया है। इस कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, डाॅ. प्रगति भटनागर, सोमवीर सांगवान, बलवीर सिंह चारण, अभिषेक शर्मा, मांगीलाल, शेर सिंह, स्वाति शर्मा, श्वेता खटेड़, सुनिता आदि उपस्थित थे।