प्राकृत व संस्कृत विभाग की डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा को सागवाड़ा में दिया गया आचार्य विमलसागर शोधानुसंधान पुरस्कार

जैनविद्या में शोध के लिये डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा को वैदुष्योत्तमा उपाधि

लाडनूँ, 2 दिसम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग की डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा को सागवाड़ा (डूंगरपुर) में चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनीलसागर महाराज के सान्निध्य में आयोजित समारोह में वात्सल्य रत्नाकर आचार्य विमलसागर शोधानुसंधान पुरस्कार से नवाजा जाते हुये उन्हें ‘‘वैदुष्योत्तमा’’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। उन्हें यह सम्मान आचार्य आदिसागर अंकलीकर अन्तर्राष्ट्रीय जागृति मंच मुम्बई की ओर से सागवाड़ा महिला जैन समाज की अध्यक्ष समाजसेवी प्ररेणा शाह एवं प्राच्य जैन संस्कृति एवं शोध संस्थान की अध्यक्ष डाॅ. मनीषा जैन द्वारा प्रदान किया गया। उन्हें जैनागमों पर शोध पर अनुसंधान करने व करवाने में अनवरत संलग्न रहते हुये जैन विद्या के उन्नयन में विशेष योगदान करने के लिये यह पुरस्कार प्रदान किया गया है, जिसमें डाॅ. मनीषा जैन लिखित शोधग्रंथ ‘‘आचार्य कुंदकुंद कृत दसभक्ति का विश्लेषणात्मक अध्ययन’’ में शोध-मार्गदर्शन का विशेष श्रेय रहा है। इस प्रतिष्ठिी अंकलीकर पुरस्कार के समर्पण समारोह में कुल पांच विशिष्ट जनों को सम्मानित किया गया, जिनमें अंकलीकर विद्वत पुरस्कार डाॅ. भागचंद्र जैन भास्कर नागपुर को, आचाय्र महावीरकीर्ति समाज सेवा राजनयकि पुरस्कार सुखलाल यादव फलोज को, आचार्य विमल सागर शोधानुसंधान पुरस्कार जैन विश्वभारती संस्थान की डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा को, तपस्वी सम्र्राट आचार्य सन्मतिसागर पत्रकारिता पुरस्कार भुवन शाह दुर्ग को तथा प्रथम गणिनीआर्यिका विजयमति माताजी त्यागीव्रती सेवा पुरस्कार इंदौर की सरोज शाह को प्रदान किया गया। इन सभी विद्वानों को अलंकरण व प्रशस्तिपत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम में रोशन गोदावत, विनोद पगारिया, शिवनेश शाह, दप्रण जैन, पीयूष जैन, पवन जैन, राजेश जैन, राकेश शाह, जम्बू शाह, गिरधरलाल शाह, मनोज जैन, रविन्द्र जैन, विमल जैन, राजेश जैन, जयंतीलाल जैन, हितैश जैन, कारूलाल दावड़ा, दिनेश जांगा, निपेश गलालिया आदि उपस्थित थे।

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