आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष में सम्बोधि व्याख्यानमाला के तहत बिहार के केन्दीय विश्वविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन

वैश्विक हिंसा के दौर में अहिंसा ही एकमात्र रास्ता- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 13 जनवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताबदी वर्ष के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में चल रहे सम्बोधि व्याख्यानमाला के अन्तर्गत महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अन्तर्गत अतिथि व्याख्यान के रूप में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस व्याख्यानमाला कार्यक्रम के तहत जैविभा विश्वविद्यालय के प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने सम्बोधि के विशेष प्रसंग में वैश्विक परिदृश्य में अहिंसा की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान में वर्तमान की विश्वव्यापी हिंसक स्थितियों को उल्लेखित करते हुये कहा कि विश्व में विभिन्न प्रकार की प्रकट व प्रच्छन्न हिंसाओं के दौर में उबरने के मार्ग के रूप में अहिंसा महत्वपूर्ण है। अहिंसा को अपनाये बिना इनसे मुक्ति पाना संभव नहीं है। उन्होंने सम्बोधि, गीता ओर गांधी के अहिंसात्मक विचारों का तुलनात्मक बोध विकसित करते हुये बताया कि तीनों द्वारा मानवता के समक्ष अहिंसा का मार्ग रखा गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के सह आचार्य डाॅ. असलम खान ने की। इस अवसर पर समाज विज्ञान संकाय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, डाॅ. सरिता तिवारी, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. सुजीत चैधरी, डाॅ. कैलाश प्रधान, डाॅ. नरेन्द्र आर्य, डाॅ. अम्बिकेश कुमार त्रिपाठी, डाॅ. अभय विक्रम सिंह, डाॅ. नरेन्द्र सिंह, डाॅ. अनुपम वर्मा एंव विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने किया।

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