जैन दर्शन के अनुसार देश का प्रत्येक नागरिक जैन है- प्रो. दुबे
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘स्वतंत्रता-संग्राम में जैन सैनानियों के भूले-बिसरे इतिहास पर हुई चर्चा
लाडनूँ, 4 फरवरी 2023। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि रामानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने कहा है कि जैन दर्शन के सिद्धांतों के अनुसार इस देश का प्रत्येक नागरिक जैन ही है। सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अहिंसा, अपरिग्रह का कोई विरोध नहीं कर सकता है। हर व्यक्ति को दैहिक, दैविक व भौतिक दुःखों से मुक्ति के लिए जैन दर्शन मागदर्शक सिद्ध होता है। विषयों के समग्र प्रतिपादन के लिए अनेकांत उपयोगी है। उन्होेंने कहा कि देश को पराधीनता से मुक्ति दिलवाने के लिए जैन समाज के लोगों ने भी प्राणों की बाजी लगाई थी। उनका इतिहास लिखा जाना चाहिए। समारोह की अध्यक्षता करते हुए जैविभा विश्वविद्यालय के विशिष्ट अधिकारी प्रो. नलिन के. शास्त्री ने कहा कि जैन को जातिवाद में बांधने के बजाए कर्मणा जैन की संतों की कल्पना को साकार करना चाहिए। उन्होंने कलिंग नरेश खारवेल से लेकर चन्द्रगुप्त, चामुंडराय आदि से होते हुए राज्य व्यवस्थाओं व सैन्य कार्यों सेजुड़े लोगों के बारे में बताया और नेताजी सुभाष बोस के सहयोगी रहे राजकुमार काशलीवाल और अन्य स्वतंत्रता आंदोलन से सम्बद्ध रहे जैन समाज के लोगों का विवरण देते हुए योगदान को उल्लेखित किया। विशिष्ट अतिथि साहित्य संस्कृति विद्यापीठ के पूर्व निदेशक प्रो. देव कोठारी ने भी अपने चिार रखते हुए संगोष्ठी के विषय की उपादेयता बताई और जैन समाज की सहभागिता को प्रतिपादित किया। कार्यक्रम में सुषमा स्वरूप व प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने के अपने दो दिनों के अनुभवों को साझा किया और संगोष्ठी की उपयोगिता बताई। प्रारम्भ में कार्यक्रम समन्वयक डा. समणी अमलप्रज्ञा ने दो दिवसीय संगोष्ठी का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने किया। इस सेमिनार के दौरान डा.. सुनिता इंदौरिया, डाॅ. योगेश जैन, प्रो. देव कोठारी प्रो. श्रेयांस कुमार सिंघई, प्रो. जयकुमार जैन, डाॅ. सुमिति जैन, डाॅ. श्वेता जैन व सुबोध जैन डाॅ. समणी संगीत प्रज्ञा, स्वस्तिका जैन, प्रो. सुषमा सिंघवी, प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन, डाॅ. रविन्द सहाय, प्रो. श्रेयांस कुमार जैन, डाॅ. सुरेन्द्र सोनी, डाॅ. ज्योति बाबू, प्रो. अशोक कुुमार जैन, प्रो. कमलेश कुमार जैन, प्रो. जिनेन्द्र जैन व डाॅ. कमल नौलखा आदि 60 सम्भगियों ने अपने पत्रवाचन प्रस्तुत किए।
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