स्मृति सभा का आयोजन कर किया स्व. गोठी को याद

श्रद्धा से होता है आत्मा का उत्थान- मुनिश्री देवेन्द्र कुमार

लाडनूँ, 31 जुलाई 2019। जैन विश्व भारती के संस्थापक सदस्य एवं प्रथम मंत्री रहे सूरजमल गोठी की स्मृति में आयोजित सभा में मुनिश्री देवेन्द्र कुमार ने कहा कि जन्म और मृत्यु का प्रवाह निरन्तर चलता रहता है। जीवन के एक छोर पर जन्म है तो दूसरे छोर पर मृत्यु है। व्यक्ति में श्रद्धा भावना प्रबल होनी चाहिये और दूसरों की भलाई की सोच रहने पर उसका आत्मोद्धार होता है और वह दूसरों का जीवन भी सुधार देता है। उन्होंने कहा कि स्व. सूरजमल गोठी ऐसे ही व्यक्ति थे। उन्होंने यहां भिक्षु विहार में आयोजित स्मृति सभा में आगे कहा कि जैन विश्व भारती के लिये अपना महत्वपूर्ण योगदान किया था। इसके अलावा सबके सुख-दुःख में काम आना उनकी प्रवृति में शामिल रहा। स्मृति सभा ज्ञानात्मक होती है और गुणत्मक भी होती है। सबको उनके ऐसे गुणों को आत्मसात करना चाहिये। सभा में जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अरविन्द संचेती ने कहा कि सूरजमल गोठी ने तुलसी अध्यात्म नीड़म् की स्थापना में महत्वपूर्ण भमिका निभाई। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने जैन विश्व भारती के विकास के लिये किये गये गोठी के योगदान को याद करते हुये कहा कि वे हमेशा निष्ठा और समर्पण के साथ काम करते थे। विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने भी उनके कर्तृत्व और व्यक्तित्व को स्मरण किया। सभा में जैन विश्व भारती के सहमंत्री जीवन मल मालू, विश्वविद्यालय के कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डाॅ. बीएल जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. जसबीर सिंह, सोमवीर सागवान, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. विकास शर्मा, कुसुम जैन, डाॅ. अमिता जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. प्रगति भटनागर, महिमा जैन, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, जेपी सांखला, निमाईचरण त्रिपाठी, जेपी सिंह आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विजयश्री ने किया।

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