जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ कृत पुस्तक जीवन विज्ञानः शिक्षा का नया आयाम पर समीक्षा

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की कमी को दूर करने का उपाय है जीवन विज्ञान- डाॅ. विष्णु कुमार

लाडनूँ, 16 सितम्बर 2019। आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रहे बुक रिव्यू कार्यक्रम के तहत सोमवार को असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. विष्णु कुमार ने आचार्य महाप्रज्ञ रचित पुस्तक जीवन विज्ञानः शिक्षा का नया आयाम की समीक्षा प्रस्तुत की। डाॅ. विष्णु कुमार ने कहा कि वर्तमान शिक्षा पद्धति अच्छे नागरिकों का निर्माण करने में विफल रही है। सभी शिक्षा-शास्त्री और अभिभावकगण चाहते हैं कि बच्चे सुसंस्कारित हों और श्रेष्ठ नागरिक बनें, नवीन पीढी की ओर सभी आशा भरी निगाहें रखते हैं, लेकिन शिक्षा प्रणाली उसमें सफल नहीं हो पा रही है। आचार्य महाप्रज्ञ ने शिक्षा पद्धति की इस कमजोरी को देखा और जीवन विज्ञान के रूप में एक नवीन प्रयोग उद्घाटित किया। मन, वाणी और काया को शिक्षित करने की ओर बढने की आवश्यकता है। मनोबल को बढाने और सहिष्णुता की वृद्धि भी शिक्षा का आधार होना चाहिये। शिक्षा के माध्यम से केवल मानसिक व बौद्धिक विकास होता है, लेकिन अनुशासन का विकास नहीं होता। बौद्धिकता और अनुशासन का समान रूप से विकास आवश्यक है। महाप्रज्ञ ने जीवन विज्ञान में माना है कि शांतिपूर्ण और सुखी जीवन की प्रक्रिया तभी पूरी होती है, जब आत्मानुशासन का पाठ पढ लिया जावे। हमने अब तक जो विद्यायें विद्यापीठों में पाई हैं, वे सारी वस्तु-जगत की विद्यायें हैं, जो अधूरी होती हैं। उनमें पूर्णता तभी आ सकती है, जब आदमी चेतन जगत की विद्या भी सीखेगा।

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