जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में जैन संस्कृति, दर्शन व भाषा पर व्याख्यान आयोजित

जैन परम्परा का अनेकांतवाद सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत

लाडनूँ, 16 फरवरी 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में संचालित आंतरिक व्याख्यानमाला के तहत सहायक आचार्य सोमवीर सांगवान ने ‘जैन संस्कृति, दर्शन एवं भाषा’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। सांगवान ने अपने व्याख्यान में जैन तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर 24 तीर्थंकरों के समय में जैन दर्शन व संस्कृति के विकास, जैन साहित्य की रचनाओं आदि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जिन संस्कृति में अनेकांतवाद व स्याद्वाद का सिद्धांत महत्वपूर्ण रहा है। साथ ही सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन औार समरूक चरित्र के बारे में भी बताया। उन्होंने भद्रबाहु से दिगम्बर परम्परा के शुरू होने और श्वतेामबर परम्परा के अलग होने के बारे में भी जानकारी दी। प्राकृत, अर्धमागधी, कन्नड़, तमिल, हिन्दी आदि में रचित जैन साहित्य की जानकारी भी अपने व्याख्यान में दी। व्याख्यान के अंत में उन्होंने उपस्थित संभागियों के प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचाय्र प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने जैन धर्म, संस्कृति व दर्शन सम्बंधी अनेक महत्वपूर्ण व चर्चित बातों का खुलासा किया।ं कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया। इस अवसर पर डाॅ. बलवीर चारण, कमल कुमार मोदी, शेर सिंह, डाॅ. विनोद कुमार सैनी, श्वेता खटड़े, डाॅ. प्रगति भटनागर आदि उपस्थित रहे।

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