Where We Are

Category 'A' by MHRD

मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संस्थान को उसके उत्कृष्ट कार्यों हेतु वर्ष 2013 में ‘ए’ वर्ग के विश्वविद्यालयों में प्रतिष्ठित किया है‚ जो विश्वविद्यालय की सूची में संस्थान के उत्कृष्ट स्तर का परिचायक है।

Top 25 Private/Deemed University

हायर एज्यूकेशन पत्रिका बेंग्लोर के सभी प्राइवेट एवं मान्य विश्वविद्यालयों के मूल्यांकन में 25 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की योग्यता सूची में संस्थान 10वें स्थान पर है।

Best Deemed University in Rajasthan

दुनियाभर में कामयाब मीडिया ग्रुप इंडिया टुडे टेलीविजन के साथ आयोजित एशिया शिक्षा शिखर सम्मेलन पुरस्कार 2016 के अंतर्गत जैन विश्व भारती संस्थान को राजस्थान में श्रेष्ठ डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में सम्मानित किया गया है।

Why Choose Us

Highlights

  • Blending of Excellence in Spirituality and Science
  • "GURUKUL" of Oriental, Linguistics, Indology and Philosophical Studies
  • Promotion and Preservation of Ancient Indian Languages
  • Innovative Curriculum and Research on Modern Social and Environmental Issues
  • Practices of Yoga and Meditation
  • UG, PG, M.Phil., Ph.D. & D.Lit. Programmes in Humanities, Arts, Social Science, Psychology, Commerce and Education
  • World Class Elite and Eminent Faculties
  • Education for Women Empowerment and Entrepreneurship
  • Student Exchange Programme in Abroad
  • Merit and Need based Scholarship Facility
  • Collaboration with Six International Universities
  • 20+ National MoUs
  • Various Industrial Linkages for Eminent Placements
  • Vocational and Communicational Skill Training Programs for Students, Staff and Society

Visitors View

"JVBI is having a remarkable service to the Nation and to the world by giving the initial aboard and support the foundation for the Unity of Religious and Enlightened Citizenship."

–Dr. A.P.J. Abdul Kalam

 

"यह शायद प्रभु का ही संकेत है कि जैन विश्वभारती संस्थान के माध्यम से आचार्यश्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में माँ सरस्वती का आशीर्वाद विद्यार्थियों को प्राप्त हो रहा है।"

–श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी,
मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार

 

“It is indeed an honour and a glance to visit Jain Vishva Bharati University and to participate in its 7th convocation. The institute has great potential for humanity which is not being reflected in all university.”

–M.M. Pallam Raju,
Minister of Human Resource Development, Govt. of India, New Delhi

 

"आज प्रायः विश्वविद्यालयों में कहीं केवल साधन है तो कहीं केवल साधना है। परन्तु जैन विश्वभारती संस्थान में साधन एवं साधना दोनों का समावेश है।’’

–प्रो. आर.बी. त्रिपाठी,
Chairman, UGC, NAAC Peer Team

 

“Collection of books in the library is very rich. There who are responsible for collecting the books and the literature should be congratulated. All this, is certainly going on, with the blessing showered by Acharya Tulsi Ji and with his guidance and inspirations. The society would ever remain indebted to him.”

–Shivraj V. Patil

 

इस विश्वविद्यालय का परिसर, आतिथ्य सत्कार, शिक्षा-व्यवस्था धार्मिक वातावरण, पर्यावरण प्रदूषण मुक्त ऋषिकुल जैसा विद्या केन्द्र समूचे भारत में अद्वितीय है।

–प्रो. श्याम सुन्दर शुक्ला,
बनारस

 

‘‘जैन विश्व भारती संस्थान आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के नक्शेकदम पर चल रहा है। इस संस्थान से एक नये भारत का सृजन होगा, ये मेरा विश्वास है।

–डाॅ. डी. डास चारण,
दर्शन विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद, गुजरात

 

“I was impressed by the collection of rare manuscripts, the organization of the library, and by the highly academic atmosphere. All persons concerned are to be complemented.”

–Prof. K.B. Pawar,
Former Secretory, AIU

 

“I am very glad to visit the library of the Jain Vishva Bharati, Ladnun. It is a very good library, and it has a very good collection. I believe the Jain Vishva Bharati will be a good institution for any kind of Jainitic studies.”

–Prof. Satya Ranjan Banerjee,
Dept. of Comparative Philosophy, University of Calcutta

 

“The university is an excellent environment in nurturing young talent’s. Noticed a variety of academic activities i.e. special lectures, student’s talent shows, etc. During the visit, even the sense of discipline and vast embeded among students is imitational to all. I wish all the best to the university faculty and leadership for their contribution in nation building.”

–Prof. A.P. Behera,
ICT & Training, CIET, NCERT, New Delhi-110016

 

“I became very happy to see the beautiful campus of the University. It is holistic place & the students are lucky to study over here. Well-disciplined students and faculty are appreciable. The administration is excellent. The University is fortunate to have a great scholar as its vice chancellor. The whole team deserves appreciation for managing the big institution. I delighted to meet everyone in the University. With best wishes."

–C.R. Choudhary,
Member of Parliament, Former Chairman-RPSC

 

“Quite impressed to see the application of objectives & ideology of Acharya Tulsi. Promoting value based education seems to be the core area of the university. The university has grown considerably & I wish that such growth continues to transform one's life by teaching scientific spirituality & life management."

–Dr. S.P. Mishra,
Vice Chancellor, Shridhar University, Pilani (Rajasthan)

 

“It is my first visit to this great institute which I consider pilgrimage. I am happy to see this institute living upto the vision of Acharya Tulsi, a great saint whose life is guiding humanity."

–Mahendra Kumawat,
Sardar Patel University of Police, Security and Criminal Justice, Jodhpur

 

“JVBI Central Library is a true treasury of significant manuscripts."

–Dr. Nathan Kate,
Florida International University, Miami, FL, USA

Research Scholars View

संस्थान में बीते जीवन के स्वर्णिम पल

"मैंने जैन दर्शन में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म तथा दर्शन विभाग में प्रवेश ले लिया एवं एम.ए. के अध्ययन में स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। एक ओर आचार्य महाप्रज्ञ की नवीन दृष्टि सम्पन्न जैन दर्शन, जीवन विज्ञान और प्रेक्षाध्यान तथा दूसरी तरफ दर्शन, प्राकृत, संस्कृत वांङ्मय से ओत प्रोत विभाग का प्रशिक्षण, शोध दृष्टि और अन्य विभाग के विद्वान अध्यापकों से अहिंसा, समाज शास्त्र आदि की दृष्टि- इन सभी तत्त्वों की ऐसी घुट्टी पिलाई गई कि आज दिन तक वही कार्य कर रही है। आज समाज में लोग पूछते हैं कि विश्वविद्यालय चलाने से इतना व्यय करने से समाज को क्या लाभ है? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि वो लाभ मैं हूँ। आज मैं और मेरे जैसे कई विद्यार्थी जो जैन विद्या, प्राकृत भाषा की सेवा कर पा रहे हैं वो ही समाज का सबसे बड़ा लाभ है। इसी प्रकार जैन विद्या, प्राकृत भाषा आदि के विकास के लिए जो व्यय होता है उसका लाभ यही है कि जिन वाणी की रक्षा हो रही है।"

–डाॅ. अनेकान्त कुमार जैन,
सह आचार्य, जैन विद्या विभाग, लाल बहादुर संस्कृत संस्थान, दिल्ली

 

पारिवारिक वातावरण

"सन् 1996 में लाडनूँ में एम.ए. जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म तथा दर्शन में इसी संस्थान में अध्ययन किया। मुझे विश्वविद्यालय का माहौल परिवार जैसा लगा। हाॅस्टल सुविधा के साथ सुसज्जित पुस्तकालय से शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ी। साथ ही आध्यात्मिक वातावरण से व्यक्तित्व संवर्धन भी हुआ विश्वविद्यालय के योग केन्द्र से त्रैमासिक प्रेक्षाध्यान से आध्यात्मिक एवं वैचारिक शक्ति प्राप्त हुई। इस संस्थान की ही देन मानता हूँ कि शोध कार्य के दौरान ही सन् 2002 में आर.पी.एस.सी. द्वारा राजकीय महाविद्यालय पाली में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हुई। इस रूप में जैन विश्व भारती संस्थान में अध्ययन से सामाजिक लक्ष्य की पूर्ति हुई। रजत जयंती के इस अवसर में मैं यही शुभकामना करता हूँ। संस्थान उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहे।"

–डाॅ. संतोष त्रिपाठी,
व्याख्याता, जैन विद्या, राजकीय बांगड़ महाविद्यालय, पाली (राज.)

 

व्यक्तित्व विकास के महत्त्वपूर्ण घटकों को समझने का अवसर मिला

"मैंने समाज-कार्य में स्नातकोत्तर करने के लिये सन् 2007 में जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। प्राध्यापकों के सहयोग व विश्वविद्यालय परिसर में वक्त बीतने के साथ-साथ मुझे लगा कि समाज कार्य का अध्ययन व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार परिवर्तन का मूलभूत आधार है। सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के लिये जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय से अच्छा शिक्षण संस्थान मेरे लिये कोई दूसरा नहीं हो सकता था। वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार जीवन विज्ञान जैन विश्व भारती की विश्व को एक अद्भुत और व्यावहारिक देन है।

समाज-कार्य में स्नातकोत्तर अध्ययन के दौरान समाज कार्य, जीवन विज्ञान व व्यक्तित्व विकास के महत्त्वपूर्ण घटकों को पढने, समझने व व्यवहार में लाने का अवसर मिला। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के अच्छे शिक्षकों व शिक्षण पद्धतियों के साथ-साथ बेहतर वातावरण में अध्ययन का अवसर प्राप्त हुआ। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय में अध्ययन की वजह से ही आज मैं सामाजिक विकास के मुद्दों पर बेहतर कार्य कर पा रहा हूँ। विश्वविद्यालय को रजत जयन्ती तक की सफलतापूर्वक यात्रा के लिये शुभकामनाएँ।"

–पारसनाथ सिद्ध,
सह-प्रबंधक, CSR (HLFPPT- HLL Life Care Ltd.)

 

तपोमयी विद्यास्थली

"जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं (नागौर) एक ऐसी पवित्र व तपोमयी विद्यास्थली है जहाँ का वातावरण अति रमणीक व मनमोहक है। यहाँ पर विद्या के लिये आने वाले विद्यार्थी सफल होकर अपने सपनों को कृतार्थ करते हैं। जब इस संस्थान में एम.एड. के लिये हमारा चयन हुआ तब लग रहा था कि मैं कहीं अपने लक्ष्य में पिछड़ ना जाऊँ। मेरा लक्ष्य राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा पास करना तथा समाज में अपना स्थान निर्धारित करना था। संस्थान के अनेक विद्वान् शिक्षकगणों ने मेरे लक्ष्य को प्राप्त करने में भरपूर मदद की तथा मुझे अपना अमूल्य समय व सहयोग देकर मेरा मार्गदर्शन किया। ऐसी पवित्र व स्वच्छ तपोभूमि राजस्थान ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारतवर्ष में अन्यतम व श्रेष्ठतम है। यहां आकर प्रत्येक विद्यार्थी पूरी लगन एवं श्रद्धा से अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लाभान्वित हो सकता है।"

–रेखा शर्मा,
पूर्व विद्यार्थी, शिक्षा विभाग

Quality of Education