‘राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षक व शिक्षा की दशा एवम् दिशा’ विषय पर मासिक व्याख्यानमाला का आयोजन

प्राचीन ज्ञान आधारित शिक्षा को शीर्ष पर पहुंचानें में सफल होगी नई शिक्षा नीति- डॉ. राय

लाडनूँ, 12 अप्रेल 2022। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में आयोजित विभागीय व्याख्यान माला में सहायक आचार्या डॉ. सरोज राय ने ‘राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षक व शिक्षा की दशा एवम् दिशा’ विषय पर अपना व्याख्यान व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 भारत की 21वीं सदी की शिक्षक एवं शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुप्रतीक्षित, दीर्घकालिक, वैचारिक मंथन-चिंतन, परामर्श का प्रतिफल है। इस नीति में अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी सुधार का विस्तार है। अध्यापक शिक्षा को समग्र, समेकित, लचीला और कौशल आधारित बनाने की पक्षधर है। विद्यार्थी की प्रारंभिक अवस्था जिसे फाउंडेशन स्टेज या नींव कहा जाता है, उसे पूर्ण से मजबूत करने की बात कही गयी है। यह नीति विद्यालयी शिक्षा में सबसे बड़े परिवर्तन की पक्षधर है तथा इसमें पूर्व की नीतियों को आधार माना गया है। राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 का सम्पूर्ण शैक्षिकी ढांचा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, सामाजिक तंत्र को विकसित करने, पाठ्यक्रमों में एकरूपता, समग्रता भारतीय भाषा को प्राथमिकता तथा प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा को आधार मानकर विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों के माध्यम से बहुविषयक शिक्षा को एकीकृत करके समावेशन करने तथा डिजिटल शिक्षा संसाधनों का प्रयोग, शिक्षण, प्रशासन मूल्यांकन में प्रयोग करने की बात इसमें कही गयी है। इस शिक्षा नीति में यह अनुशंसा भी की गयी है कि आवश्यकता पड़ने पर अभिभावकों को भी परामर्श दिया जाए तथा विद्यार्थी की प्रारम्भिक अवस्था मजबूत किया जाए। कौशल युक्त शिक्षा के साथ मानसिक, भावात्मक विकास पर ध्यान दिया जाए। इसमें समावेशी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है तथा स्कूल में सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाकर गुणवत्ता शिक्षा से जोड़ना इसकी विशेष्ता है। मानविकी, विज्ञान बहुविषयी वैचारिक समझ, रचनात्मक संयोजन तथा फाउंडेशन अवस्था में बहु-स्तरीय खेल आधारित अध्ययन और संवादात्मक कक्षा शैली के माध्यम से अनुभव आधारित शिक्षण को समाहित किया जाए तथा स्कूली शिक्षा को पुनर्गठित करके आयु के अनुसार शिक्षा व्यवस्था को बाटने की व्यवस्था है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की क्रियान्विति से भारत को प्राचीन ज्ञान आधारित शिक्षा को शीर्ष पर पहुंचानें में सफल होगी तथा 5 से 15 वर्ष की आयु के उन बच्चों को तैयार करेगी, जो भारत को विश्व पटल पर शैक्षणिक परिदृश्य के रूप में दूरगामी प्रभाव डालेगा, जिससे भारत के भविष्य को नयी दिशा मिलेगी। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर समस्त संकाय सदस्य डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. बी. प्रधान. डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन. डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, रजत जैन, डॉ. अजीत पाठक, खुशाल जांगिड़ आदि उपस्थित रहे।

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