जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विख्यात कवि राजेश चैतन्य का स्वागत

बीच में दीवारें खड़ी करने के बजाये पुल बनाने का काम करें- चैतन्य

लाडनूँ 20 अगस्त 2018। विख्यात राष्ट्रीय एवं हास्य कवि राजेश चैतन्य का यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की ओर से महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में भावभीना स्वागत किया गया। वे यहां मुनिश्री जयकुमार के दर्शनार्थ लाडनूँ आये थे। इस अवसर पर राजेश चैतन्य ने विभिन्न हास्य आधारित एवं प्रेरणास्पद कविताओं एवं चुटकलों से भरपूर तालियां बटोरी। उन्होंने कहा कि हंसने का अधिकार समस्त प्राणियों में केवल मनुष्य को ही भगवान ने दिया है। इसलिये सभी मनहूसियत छोड़ कर हंसी-खुशी से जिन्दगी गुजारें। उन्होंने इंसान-इंसान के बीच दीवारें बनानी छोड़ देने और पुल बनाने का काम करने की सलाह दी तथा कहा कि सारा खेल केवल शब्दों का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सारे विश्व में सभी सुनने वालों को शब्दों में बांध लेते हैं। शब्द-सम्पदा के प्रयेाग से खुशियां बांटी जा सकती है और दुःख भी उत्पन्न किया जा सकता है। इसलिये सुख प्राप्त करने के लिये शब्दों का उचित उपयोग करना चाहिये। उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढाओ का संदेश भी दिया तथा विभिन्न व्यंग्यात्मक स्थितियां साझा करते हुये कहा कि एक बेटी दस बेटों के बराबर होती है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक पुत्री द्वारा मुखाग्नि दी जाने को समाज के लिये सराहनीय संदेश बताया।

आनन्द है जीवन का आधार

कार्यक्रम को सान्निध्य प्रदान करते हुये मुनिश्री जयकुमार ने स्वरचित कवितायें सुनाई, जिन्हें सभी ने जमकर सराहा। मुनिश्री ने कहा कि आनन्द जीवन का आधार है। जीवन में हंसना-हंसाना और आनन्दित रहना आवश्यक है। उन्होंने शब्दों से आनन्छ की उत्पत्ति के बारे में बताया। प्रारम्भ में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कवि राजेश चैतन्य का स्वागत किया तथा उनकी काव्य-रचनाओं को उदृत करते हुये उनका परिचय प्रस्तुत किया। प्रो. दूगड़ ने उन्हें मोस्ट डायनेमिक पोइट की उपाधि देते हुये कहा कि वे केवल बेहतरीन मंच संचालक, कवि व मोटीवेशनल गुरू ही नहीं, बल्कि विभिन्न संस्थाओं के संचालक भी हैं और समाज सेवा से निरन्तर जुड़े हुये रहते हैं। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में शांतिलाल बरमेचा व इन्द्रचंद बैंगाणी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़, उप कुलसचिव डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, विताधिकारी आरके जैन, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बी. प्रधान, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. आभा सिंह, डीआर खोजा, मोहन सियोल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने किया।

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