जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में केरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन
पूरे विश्व में फैली भारतीय योग विद्या का एक हजार बिलियन डाॅलर है व्यवसाय- डाॅ.शेखावत
लाडनूँ, 19 दिसम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने कहा है कि योग को भारतीय ऋषियों ने आत्म-उद्धार और मोक्ष प्राप्ति के साधन के रूप में आविष्कृत किया था, लेकिन आज समय के साथ उसका स्वास्थ्य बदल गया है और योग आज स्वास्थ्य प्राप्ति का साधन बन गया है। उन्होंने यहां सेमिनार हाॅल में आयोजित कैरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम के तहत राजकीय सुजला महाविद्यालय के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने योग शिक्षा के उपयोग और केरियर निर्माण में सहायक की भूमिका के बारे में बोलते हुये कहा कि भारत की यह विद्या आज पूरे विश्व में फैली हुई है और एक हजार बिलियन डाॅलर का व्यवसाय केवल योग शिक्षा का है। प्रत्येक कार्यक्षेत्र में कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढाने के लिये अपने संस्थान में योग-सलाहकारों की नियुक्ति कर रहे हैं। आज लगभग हर व्यक्ति में विविध प्रकार की शारीरिक समस्यायें और तनाव की स्थिति है, जिसका एकमात्र कारण लाईफ स्टाइल बदलना है। इसे योग द्वारा फिर बदला जासकता है। योग से शरीर व मन का संतुलन बना रहता है।
प्राचार्य हुये योग शिक्षा से प्रभावित
कार्यक्रम में राजकीय सुजला महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. चतरसिंह डोटासरा ने बताया कि सुजला काॅलेज के युवा विकास केन्द्र के तहत आयोजित व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों के भ्रमण का कार्यक्रम जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय का रखा गया, जिसमें उन्हें केरियर निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। उन्होंने कार्यक्रम में प्राप्त जानकारी को विद्यार्थियों के लिये लाभदायक बताया तथा कहा कि वे यहां योग शिक्षा से बहुत प्रभावित हुये हैं और स्वयं यहां योग शिविर में भाग लेने के इच्छुक हैं। कार्यक्रम में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने एमएसडब्लू करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य और केरियर के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि यह हंड्रेड पर्सेंट जोब ओरियेंटेड कोर्स है, जो इस क्षेत्र में एकमात्र इसी विश्वविद्यालय में है।
निःशुल्क होस्टल, मेस व शिक्षण शुल्क की सुविधायें
डाॅ. रविन्द्र सिंह शेखावत ने अहिंसा एवं शांति विभाग के अन्तर्गत संचालिक विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं सुविधाओं के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि विश्वविद्यालय में एमए डिग्री के कोर्स में दो साल तक 10 हजार रूपये वार्षिक छात्रवृति देय है। इसी प्रकार एमफिल और पीएचडी में भी छात्रवृति की सुविधा देय है। इस संस्थान की अलग विषयों के कारण पृथक पहचान है और इसी कारण यहां विदेशी विद्यार्थियों के साथ विभिन्न प्रंतों के विद्यार्थी भी अध्ययनरत हैं। डाॅ. योगेश जैन ने जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के अन्तर्गत संचालित कोर्सेंज के बारे में विवरण प्रस्तुत किया एवं उनकी उपयोगिता व उनसे मिलने वाले रोजगार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैनोलाॅजी विषय पढने वाले विद्यार्थियों को यहां छात्रावास एवं भोजन की सुविधा निःशुल्क है। इसके अलावा पीएचडी करने वाले शोधार्थियों के लिये 28 हजार रूपये सहयोग प्रदान किये जाने की सुविधा है। कार्यक्रम संयोजक डाॅ.सत्यनारायण भारद्वाज ने प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के बारे में बताया और कहा कि यहां से स्नातकोत्तर करने वाले सभी विद्यार्थियों के लिये रहना-खाना और फीस सभी निःशुल्क हैं। नेट और जेआरएफ के लिये भी सुविधा उपलब्ध है तथा कम्पीटिशन की तैयारी के लिये भी निःशुल्क सुविधा उपलब्ध है।
विद्यार्थियों ने किया विभिन्न सुविधाओं का अवलोकन
राजकीय सुजला महाविद्यालय से युवा विकास केन्द्र के तत्वावधान में आये छात्र-छात्राओं ने यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की योग विभाग, विज्ञान संकाय आदि की विभिन्न प्रयोगशालाओं, जिम की सुविधा, छात्रावास, विभिन्न विभागों, स्मार्ट कक्षाओं, डिजीटल स्टुडियो, विशाल ग्रंथागार लाईब्रेरी, हस्तलिखित पुस्तकों, कलाकृतियों, रमणीक हरीतिमा युक्त परिसर, ध्यान केन्द्र, खेल मैदान आदि का अवलोकन किया तथा डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज एव स्थानीय स्टाफ से पूरी जानकारी प्राप्त की।
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