जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) ऐसा काॅलेज, जिसकी छात्राओं को एक भी पुस्तक नहीं खरीदनी पड़ती
आठ सालों से नियमित बुक बैंक का अनूठा सफल प्रयोग
लाडनूँ, 2 फरवरी 2019। आमतौर पर अभिभावकों की शिकायत रहती है कि बच्चों की शिक्षा के कारण उन पर आर्थिक बोझ बढता ही जा रहा है। जब बात उच्च शिक्षा की हो तो वह अभिभावकों के लिये कमर तोड़ देने वाली साबित होती है। प्रायः सभी प्राईवेट स्कूलों-काॅलेजों में पाठ्य-पुस्तकों को बेचने का व्यवसाय भी शिक्षा के साथ में किया जाता है। लेकिन यहां एक काॅलेज ऐसा भी है, जिसमें पढने पर किसी भी विद्यार्थी को पूरे शिक्षण काल में पुस्तकों के लिये न्यूनतम राशि मात्र ही खर्च करना पड़ती है। यह काॅलेज है महिला शिक्षा व स्वावलम्बन के लिये समर्पित जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय। इस काॅलेज में छात्राओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास की सुविधाओं के साथ-साथ अध्ययनरत छात्राओं को मार्केट से पुस्तकें खरीदने की आवश्यकता नहीं रहती है। उन्हें समस्त पाठ्य पुस्तकों का पूरा सेट यहां दिया जाता है, जिसे अपने पूरे सेमेस्टर में वे अपने पास रख कर पढाई कर सकते हैं और परीक्षा देने व परिणाम आने के बाद उन्हें वापस जमा करवा सकती है। प्रतिवर्ष 300 से अधिक छात्रायें इस सुविधा का लाभ उठाती है। यह सुविधा महाविद्यालय में संचालित बुक बैंक की व्यवस्था से छात्राओं को मिलती है।
4665 पुस्तके उपलब्ध हैं बुक बैंक में
पिछले करीब आठ सालों से संचालित किया जा रहा यह बुक बैंक निरन्तर सुव्यवस्थित रूप से चल रहा है। सभी छात्राओं ही नहीं अभिभावकों ने भी महाविद्यालय के इस प्रयास को सराहा है। इस बुक बैंक में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तीनों संकायों कला वर्ग, वाणिज्य वर्ग एवं विज्ञान वर्ग की समस्त छात्राओं के लिये समस्त विषयों की भरपूर पुस्तकें उपलब्ध है। बुक बैंक के प्रभारी कमल कुमार मोदी ने बताया कि बुक बैंक में कुल 4665 पुस्तकें उपलब्ध हैं। वर्तमान में कुल 305 छात्राओं को इन पुस्तकों के सेट प्रत्येक को दिये गये हैं। जिनका अध्ययन वे अपने पास पुस्तकें परीक्षोपरांत तक रख कर बिना किसी बाधा के कर पायेंगी। डाॅ. बलवीर चारण व सोनिका जैन भी अपनी सेवायें इस बुक बैंक को दे रही हैं।
हर सेमेस्टर में 12 पुस्तकें दी जाती हैं छात्रा को
संस्थान के प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस महाविद्यालय में पढने वाली सारी छात्रायें बुक बैंक का लाभ उठाती हैं तथा उन्हें उनके समस्त विषयों की पुस्तकों के पूरे सेट उपलब्ध करवाये जाते हैं। इस कारण किसी भी छात्रा को यहां कोई पुस्तक खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। बीए, बीकाॅम व बीएससी संकायों में अध्ययन करने वाली छात्राओं को अपने तीन साल के कोर्स को छह सेमेस्टर में पास करना होता है। इस सेमेस्टर व्यवस्था के तहत अपनी प्रत्येक कक्षा में साल में दो सेमेस्टर होते हैं। इन छात्राओं को हर सेमेस्टर के लिये निर्धारित सभी पुस्तकें दी जाती हैं, जिन्हें सेमेस्टर उतीर्ण करने में बाद वापस जमा करवाया जाता है। उन्होंने बताया कि इन पुस्तकों के ऐवज में प्रत्येक छात्रा से एक हजार रूपये की जमाराशि ली जाती है और तीनों वर्ष के छह सेमेस्टरों के लिये दी जाने वाली इन पुस्तकों को डिग्री पूर्ण कर लेने के बाद ही वापस लौटाना पड़ता है। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि संस्थान में केन्द्रीय पुस्तकालय का लाभ भी इस काॅलेज की छात्रायें उठाती है और वे वहां से विश्व भर के किसी भी लेखक की किसी भी विषय की पुस्तक लेकर अपनी ज्ञानवृद्धि कर सकती है।
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