जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) एवं उपखंड प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में जल शक्ति अभियान का जिला स्तरीय शुभारम्भ समारोह आयोजित

नागौर जिले की चिंताजनक भूगर्भ जल की स्थिति का मुकाबला वर्षाजल संचय से संभव- मीणा

लाडनूँ, 8 अगस्त 2019। उपखंड प्रशासन एवं जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई के संयुक्त तत्वावधान में यहां आचार्य महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में गुरूवार को भारत सरकार के जल शक्ति अभियान के शुभारम्भ का जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के उप शासन सचिव महेश कुमार मीणा ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन संचालित किया जाने वाले इस जल शक्ति अभियान का शुभारम्भ पूरे राजस्थान के 29 जिलों में एक साथ किया जा रहा है। उन्होंने नागौर जिले की पानी की दृष्टि से चिंताजनक स्थिति का विवरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि पश्चिमी भारत का यह जिला पूरी तरह से वर्षा के जल पर निर्भर करता है। यहां के भूगर्भ में नमकीन पानी है और पीने के योग्य नहीं है; इसी कारण यहां बरसात के पानी का संचय आवश्यक है। उन्होंने मनरेगा योजना में टांके बनवाने की योजना की जानकारी देते हुये कहा कि इसके लिये केन्द्र सरकार आवश्यकतानुसार पूरा कोष उपलब्ध करवाने को तैयार है। कार्यक्रम के अध्यक्ष दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पानी को लेकर गंभीर हालत पैदा हुई है, क्योंकि पानी भूगर्भ में निरन्तर नीचे चला जा रहा है। इसके लिये भूगर्भ में जल-पुनर्भरण के लिये सबको प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भविष्य के जल-संकट की आहट को पहचाना है और जल शक्ति मंत्रालय का स्वतंत्र गठन किया और इसे अभियान का रूप दिया है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से 2-2 वृक्ष लगाने और उनके संरक्षण के लिये प्रेरित किया। साथ ही अपने घर, संस्थान व अन्य सभी स्थानों पर जल बचाने के प्रति सजग रहने की आवश्यकता बताई।

अगले साल तक 21 शहरों में जल संकट

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उपखंड अधिकारी मुकेश चैधरी ने बताया कि देश के 256 जिलों में एक साथ जल शक्ति अभियान का शुभारम्भ भारत सरकार द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में आम आदमी की भागीदारी आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण अभियान है और नागौर जिला डार्क-जोन में आता है, यहां इसका अत्यधिक महत्व है। उन्होंने जल शक्ति अभियान के 5 बिन्दुओं का उल्लेख किया तथा बताया कि वर्षा-जल के संचय, पेयजल की सफाई, परम्परागत जलस्रोतों का संरक्षण, पानी को रिसाईकिल करके दुबारा उपयोग के योग्य बनाने और गहन वृक्षारोपण-गहन वनीकरण के लिये सबके सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि बरसात के जल का मात्र 8 प्रतिशत ही उपयोग में आ पाता है, वर्षाजल का सही तरीके से संरक्षण करके सालभर उसका उपयोग करने की कोशिश सभी मिलकर इस उपयोग को 15 प्रतिशत तक बढा सकते हैं और भारत सरकार का यही लक्ष्य है। घरों में पोंड, गांव में तालाब आदि बनाकर वर्षाजल का संग्रहण करना चाहिये। उन्होंने बताया कि सन 2020 तक 21 बड़े शहरों में पानी का स्तर नीचे चला जायेगा और जल संकट का सामना करना पड़ेगा। 200 शहर व 10 मेट्रो सिटी डे-जीरो की ओर बढ रहे हैं। यहां नलों में पानी आना बंद हो जायेगा। देश में 16 करोड़ लोगों को साफ पानी नहीं मिल रहा है और 26 करोड़ लोगों को पानी के लिये दूरियां तय करनी पड़ रही है। विद्यार्थियों को जलशक्ति अभियान में सहयोग करना चाहिये। एसडीएम चैधरी ने कहा कि वर्षा का समय है और इस समय वृक्ष लगाने का काम करना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को 2-2 पौधे घर, विद्यालय अथवा अन्य किसी भी क्षेत्र में अवश्य लगाना चाहिये। साथ ही ऐसे लगाये जाने वाले वृक्षों की सार-संभाल करना भी आवश्यक है। सबको अपने इस उत्तरदायित्व को सक्रियता से निभाना होगा। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे प्रयत्नों से बड़े स्तर के प्रभाव नजर आने लगते हैं। इसलिये चाहे गाड़ी की धुलाई हो, स्वीमिंग पूल हो, वाशिंग मशीन में कपड़े धाने का काम हो, स्नान, बर्तन धोने आदि के समय पानी के कम से कम इस्तेमाल और दुरूपयोग को रोकने की सोच से पानी बचाया जा सकता है।

परम्परागत जलस्रोतों का संरक्षण आवश्यक

जल शक्ति अभियान के नोडल अधिकारी एवं पंचायत समिति के विकास अधिकारी हरफूल सिंह चैधरी ने कहा कि सरकार ने पानी बचाने का यह अभियान प्रारम्भ किया है। इसमें सबको मिलकर सहयोग करना है और जल संरक्षण के काम को आगे बढाना है। उन्होंने तालाबों, एनिकट आदि परम्परागत जलस्रोतों को बचाने और उनके संरक्षण के लिये सबको प्रेरित किया। साथ ही कहा कि वृक्षारोपण अधिक से अधिक करना आवश्यक है। पेड़ों के कारण हरियाली रहती है और हरियाली के कारण बारिश ज्यादा होती है। उन्होंने कम पानी से ज्यादा खेती की तकनीक को विकसित करने की जरूरत बताई तथा कहा कि इस्रायल की तर्ज पर खेती करके जल बचाया जा सकता है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये इस बात पर हर्ष जताया कि भारत सरकार के इस अभियान में लिये नागौर जिले में लाडनूं को चुना और लाडनूं में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय का चयन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भूजल विभाग के अधिशाषी अभियंता प्रवीण, नरेगा के सहायक अभियंता दिनेश कुमार मंचस्थ थे। कार्यक्रम के अंत में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विभिन्न राजकीय अधिकारी, विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शोध निदेशक डा. जुगलकिशोर दाधीच ने किया।

वृक्षारोपण किया व रैली निकाली

जल शक्ति अभियान के शुभारम्भ समारोह के पश्चात जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के उप शासन सचिव महेश कुमार मीणा, उपखंड अधिकारी मुकेश चैधरी, विकास अधिकारी हरफूल सिंह चैधरी, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, भूजल विभाग के अधिशाषी अभियंता प्रवीण, नरेगा के सहायक अभियंता दिनेश कुमार, प्रो. बीएल जैन आदि ने मिलकर वृक्षारोपण किया। वृक्षारोपण के पश्चात एनसीसी एवं अन्य छात्राओ की रैली निकाली गई। रैली को उप शासन सचिव महेश कुमार मीणा, उपखंड अधिकारी मुकेश चैधरी, विकास अधिकारी हरफूल सिंह चैधरी, कुलसचिव रमेश कुमार मेहता आदि ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। रैली शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुये निकली तथा हाथों में नारे लिखी तख्तियां और जल संरक्षण सम्बंधी नारे लगाते हुये आम जनता को पानी बचाने व पेड़ लगाने का संदेश दिया।

रोजमर्रा के जीवन में यथासंभव जल बचाया जावे- प्रो. त्रिपाठी

21 सितम्बर 2019। भारत सरकार द्वारा जल संरक्षण हेतु संचालित ‘‘जल शक्ति अभियान’’ के दूसरे चरण की क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्राप्त निर्देशानुसार संस्थान की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों ईकाइयों के संयुक्त तत्त्वावधान में शनिवार को जल-संरक्षण सम्बंधी अभिप्ररणा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान में स्वयंसेविकाओं को सम्बोधित करते हुये बताया कि भारतीय संस्कृति में जल को जीवन का प्रधान तत्त्व माना गया है और यही विज्ञान भी सिद्ध कर रहा है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। उन्होंने जल की महत्ता को सर्वोपरि बताते हुये रोजमर्रा के जीवन में जल के अपव्यय को रोकने के लिये छात्राओं को प्रेरित किया। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि विश्वभर में ऐसी संभावनायें जताई जा रही है कि तृतीय विश्वयुद्ध पानी को लेकर ही होगा। भारत सरकार जल संरक्षण और जल स्रोतों के संरक्षण के सम्बंध में पूरी तरह से सजग है और इसके लिये जल शक्ति मंत्रालय की अलग स्थापना की है। देश भर में पानी बचाने के लिये सरकार जनता को जागरूक करने के लिये प्रयासरत है और कोशिश है कि सन् 2022 तक देश के हर घर को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो। कार्यक्रम की प्रस्तावना एनएसएस की प्रथम इकाई कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. प्रगति भटनागर ने प्रस्तुत की और अन्त में द्वितीय इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. बलबीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सहायक आचार्य अभिषेक चारण, सोमवीर सांगवान, बलवीर सिंह चारण, श्वेता खटेड़, शेर सिंह राठौड़, अभिषेक शर्मा, मांगीलाल आदि उपस्थित रहे।

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