जैन विश्वभारती संस्थान के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन
संस्कृत व भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को प्रकाश दे रही है- प्रो. शास्त्री
लाडनूँ, 19 अगस्त 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में सोमवार को यहां सेमिनार हाॅल में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य वक्ता प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि हमारा देश हमारी संस्कृत भाषा व संस्कृति पर टिका हुआ है और पूरे विश्व को यह प्रकाश दे रही हैं। हमारी समस्त प्राचीन निधि संस्कृत साहित्य में ही है। ज्ञान व आचार की ऊर्जा संस्कृत के ग्रंथों से ही आती है। उन्होंने शुद्ध बोलकर ही संस्कृत की रक्षा की जा सकती है। प्राचीन जनभाषा को जब साहित्य में ढाला गया तो वह नियमों में बंध गई, वहीं संस्कृत हो गई। भावों की अभिव्यक्ति सूक्ष्मता से आने पर वह साहित्य बन जाते हैं। प्रो. शास्त्री ने भाषा के नियमों में बंधने और संयम से चलने वाली भाषा को ही जीवित रहने वाली बताया और कहा कि जाहे जैसे बोले जाने वाली भाषा लुप्त हो जाती है। समारोह के मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने संस्कृत केा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा बताया तथा कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने माना है कि दुनिया की 97 प्रतिशत भाषायें संस्कृत से ही निकली है। संस्कृत स्पष्ट भाषा है और अपरिवर्तनीय भाषा है, इसी कारण अंतरिक्ष के लिये यह सबसे उपयुक्त भाषा साबित हुई है। उन्होंने बताया कि नासा में आने वाले वैज्ञानिकों को पहले दो सालों तक संस्कृत का अध्ययन कराया जाता है। संस्कृत का शब्दकोश विश्व का सबसे समृद्ध है। इंग्लेंड, आयरलेंड आदि में भी बच्चों को संस्कृत सिखाई जाती है, इससे उनका मानसिक व बौद्धिक स्तर तीक्ष्ण रहता है। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने कहा कि संस्कृत सबसे समृद्ध भाषा है, जिस पर हमें गर्व होना चाहिये। यह सबसे पुरानी और पूर्ण भाषा है। हमें संस्कृत सीखने का प्रयास करना चाहिये। भाषायें जितनी ज्यादा सीखी जाती है, उतना ही अधिक बौद्धिक विकास संभव होता है। कार्यक्रम के प्रारमभ में मुमुक्षु बहिनों ने संस्कृत में मंगलाचरण किया एवं गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. योगेश जैन, डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, मीनाक्षी मारू, सुनिता इंदौरिया अदि उपस्थित थे।
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