जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में हिन्दी दिवस के अवसर पर निबंध व पोस्टर प्रतियोगितायें आयोजित
हिन्दी के संचलन, संरक्षण, संवर्द्धन का दायित्व शिक्षकों का अधिक- प्रो.जैन
लाडनूँ, 14 सितम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत हिन्दी दिवस के अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन भी किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि शिक्षक ही भाषा को बचाने का काम करते हैं। वे भाषा के संरक्षण, संवर्द्धन व हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भमिका निभाते हैं। हिन्दी भाषा के शब्दकोश को बढावा देने, भाषा के शुद्धिकरण पर ध्यान देने, अभिव्यक्ति के कौशल को बढावा देने और पाठ्यपुस्तकों में आये कठिन शब्दों के अर्थ को सरल व स्पष्ट बनाने पर प्रत्येक शिक्षक को ध्यान देना चाहिये। विज्ञान, तकनीकी, अर्थशास्त्र विषयों की पुस्तकों को पूरी तरह से हिन्दी में बनाने की आवश्यकता है। हिन्दी में तकनीकी शब्दों के नाम पर जटिलता बढ रही है। अंग्रेजी शब्दों की भी हिन्दी में भरमार हो रही है और उर्दू व अंग्रेजी का समावेश बढा है। इस स्थिति से निपटने का जिम्मा शिक्षकों पर ही है। हमें हिन्दी के शुद्धिकरण और सरलीकरण पर ध्यान देना होगा। उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि बाबुओं और नौकरशाही की भाषा के रूप में अंग्रेजी पनप रही है। ये लोग हिन्दी को समाप्त करने में लगे हैं। अंग्रेजी का प्रभाव घटने के बजाये बढता ही जा रहा है। कम्प्यूटर, विज्ञान, तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र में हिन्दी को महत्वहीन बनाया जा रहा है। इस स्थिति को बदलने का जिम्मा भी शिक्षकों पर अधिक है। कार्यक्रम प्रभारी डाॅ. सरोज राॅय ने हिन्दी को अपने रोजमर्रा के कामकाज की भाषा बनाने और व्यवहार की भाषा के रूप में अपनाने पर बल दिया तथा कहा कि जब तक आम नागरिक इस ओर सजग नहीं बनेगा, तब तक हम साल में केवल एक दिन हिन्दी दिवस मनाकर ही रह जायेेंगे। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक आदि एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित रही।
आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में मनाया गया हिन्दी दिवस
जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय व प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस पर प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अभिषेक चारण ने हिन्दी की इतिहास से वर्तमान तक की समीक्षा करते हुये वर्तमान भारतीय जीवन में हिन्दी के महत्व को बताया। प्रो. त्रिपाठी ने 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाये जाने की महत्ता बताई और कहा कि आज समूचे विश्व में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा के रूप में हिन्दी उभरी है। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के व्याख्याता डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने भी छात्राओं को सम्बोधित करते हुए भारतेन्दु हरिशचन्द्र की पंक्तियां ‘‘निज भाषा उन्नति अहे सब उन्नतिन को मूल, बिन निज भाषा उन्नति के मिटे न हिय को सूल।’’ उद्धृत करते हुये बताया कि मातृभाषा के साथ राष्ट्रभाषा की उन्नति ही वास्तविक अर्थों में मानव जीवन की उन्नति कही जा सकती है। कार्यक्रम में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने राजनन्दिनी जेतमाल, नफीसा बानो, माधुरी सोनी, विशाखा स्वामी, प्रियंका प्रजापत रीतिका सांखला, नजमा खान आदि ने हिन्दी दिवस से सम्बन्धित प्रस्तुतियां दी। डाॅ. प्रगति भटनागर, कमल कुमार मोदी, डाॅ. बलबीर सिंह चारण, सोमवीर सांगवान, श्वेता खटेड़, शेर सिंह राठौड़, अभिषेक शर्मा, मांगीलाल एवं घासीलाल शर्मा उपस्थित रहे।
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