जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक पर समीक्षा कार्यक्रम आयोजित

भौतिक व बौद्धिक क्षमताओं का विकास अहिंसा से संभव

लाडनूँ, 23 नवम्बर 2019। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समाज कार्य विभाग में पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक ‘‘अहिंसा एवं शांति’’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुये बताया कि पुस्तक को पढने से व्यक्ति यह समझ सकता है कि मनुष्य मात्र के लिये केवल अंिहसा का मार्ग ही उचित होता है। मनुष्य की भौतिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास भी अहिंसा से ही संभव है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक को तीन अध्यायों एवं अन्य उपविषयों में अहिंसा एवं शांति की विस्तृत व्याख्या की गई है। पुस्तक के प्रथम अध्याय में महावीर का अहिंसा दर्शन, महावीर की अहिंसा और निःशस्त्रीकरण, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, मानव जीवन का मूल्य,, अहिंसाः सामाजिक जीवन का आधार, मानव जाति की भौतिक और बौद्धिक क्षमता का उपयोग आदि विषयों को विस्तार से बताया गया है। दूसरे अध्याय में अहिंसा एवं शांति में संयुक्त राष्ट्र मंच की महता, राष्ट्रीय एकता, मस्तिष्क नियंत्रण, स्वास्यि पर धर्म का प्रभाव तथा तृतीय अध्याय में व्यक्ति दर्शन, जैन धर्म की वैज्ञानिकता, वर्तमान समस्या के संदर्भ में भगवान महावीर के विचार आदि पर रोशनी डाली है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान नेकहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अपनी अहिंसा यात्रा के दौरान देश भर में लोगों से सम्पर्क करके उनकी भावनाओं, समस्याओं और कार्यों को देखा तथा उनका अहिंसा स्थापना की दृष्टि से आकलन करके समाधानों की खोज की। उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहा है। उनकी पुस्तकों में विचारों को पढने पर व्यक्ति में परिवर्तन संभव हो जाता है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विकास शर्मा ने किया।

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