जैन विश्व भारती में जैन संतों से मिले स्वामी महेश्वरानन्द

शाकाहार से होती है विभिन्न जानवरों की रक्षा- स्वामी महेश्वरानन्द

लाडनूँ 3 जनवरी 2020। विश्वभर में योग के प्रति नई जागृति जगाने वाले महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानन्द का यहां जैन विश्व भारती में संस्था एवं विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उन्हें शाॅल अर्पित किया। राजकुमार चैरड़िया ने उन्हें साहित्य भेंट किया। इस अवसर पर स्वामी महेश्वरानन्द ने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों की धरा है, भारतीय महापुरूषों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रहा है। हमारा मिशन यह रहना चाहिये कि पूरी पृथ्वी को भारत के अनुरूप बना दिया जावे। उन्होंने यहां भिक्षु विहार में मुनिश्री देवेन्द्र कुमार व मुनिश्री जयकुमार से भेंट की और उनसे आध्यात्मिक चर्चा भी की। इस दौरान वहां उपस्थित नागरिकों से उन्होंने अहिंसा को हर क्षेत्र में आवश्यक बताते हुये भोजन में सात्विकता बरतने की सलाह दी और कहा कि शाकाहार करने से विभिन्न जानवरों की रक्षा भी होती है। हमारे यहां तो अहिंसा परमोधर्मः का घोष किया जाता है और हमें तो बोलने से भी हिंसा नहीं हो यह ध्यान रखना चाहिये। स्वामी ने गुटखा, पान, शराब आदि के सेवन को अनुचित बताते हुये उनकी हानियां बताई और कहा कि इन्हें छोड़ देना चाहिये। उन्होंने यूरिया की हानिकारक कृषि को छोड़ कर आर्गेनिक खेती अपनाने और भैंस के बजाये गाय के दूध का सेवन करने की सलाह भी दी। स्वामी ने मम्मी, पापा, डैडी, डेड, मैडम, सर आदि शब्दों के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी और कहा कि हमें अपनी भारतीय परम्परा को नहीं छोड़ना चाहिये। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित नागरिकों से यौगिक क्रिया एवं मंत्र प्रयोग का अभ्यास भी करवाया। मुनिश्री देवेन्द्र कुमार ने इस अवसर पर कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ ने आचार्य तुलसी के समय से ही अहिंसा, अणुव्रत आदि के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया। आचार्य महाश्रमण नैतिकता, सद्भावना आदि तीन सूत्रों पर आधारित अहिंसा यात्रा कर रहे हैं और प्राणी मात्र में मैत्री भावना से विश्व के कल्याण का संदेश दे रहे हैं। मैत्री भाव व गुणीजनों के प्रति प्रमोद भावना से समाज व राष्ट्र का विकास होता है।

जो संत होता है, वह सरल होता है

तपस्वी मुनिश्री जयकुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि संत वही होता है, जिसके भीतर सरलता होती है। व्यक्ति जितना ऊपर उठता है, वह उतना ही विनम्र व सरल बनता है। उन्होंने स्वामी महेश्वरानन्द का सम्मान करते हुये कहा कि संत का अभिनन्दन ज्ञान से और चेतना के सम्प्रेषण से होता है। उसके लिये शब्दों की आवश्यकता नहीं रहती। उन्होंने देश व मानवता के विकास एवं हृदय परिवर्तन के लिये लगने को आवश्यक बताया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने महामंडलेश्वर संत महेश्वरानन्द के बारे में जानकारी दी और उनके विदेशों में स्थित आश्रमों और जाडन स्थित आश्रम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनके आश्रम में साधु-संत भी श्रम आधारित जीवन जीते हैं और अपनी व्यवस्थायें वे स्वयं ही करते हैं। इस अवसर पर जैन विश्व भारती की ओर से डाॅ. विजयश्री शर्मा, तेरापंथी सभा के मंत्री राजेन्द्र खटेड़, तेरापंथ महिला मंडल की पुखराज सेठिया व युवक परिषद के राजकुमार चैरड़िया ने भी स्वामी महेश्वरानन्द का स्वागत करते हुये आध्यात्मिक संतों के इस मिलन व विचार-विमर्श को अद्वितीय बताया। इस अवसर पर भाजपा शहर अध्यक्ष नीतेश माथुर, कैलाश घोड़ेला, सुशील पीपलवा, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. सुनिता इंदौरिया, प्रगति चैरड़िया, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. जेपी सिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक, विनोद कस्वां, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान आदि उपस्थित थे।

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