जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के पूर्व कुलपति को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार

गांधीवाद के प्रखर प्रचारक सर्वोदय विचारक डाॅ. रामजी सिंह को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री

लाडनूँ, 29 जनवरी 2020। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामजी सिंह को समाजसेवा के लिये गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर यहां हर्ष जताया गया और उनकी स्वस्थता पूर्वक दीर्घायु के लिये कामनायें व्यक्त की गई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को देश-विदेश में फैलानेवाले सर्वोदय विचारक 94 वर्षीय डाॅ. रामजी सिंह वर्ष 1992 से 94 तक जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे। उन्होंने 1993 में शिकागों में आयोजित हुए विश्व धर्म संसद में जैनिज्म पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि प्रो. रामजी सिंह सादगी की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने अथक प्रयास करके संपूर्ण भारत में गांधी विचार की पढ़ाई शुरू कराई। वे बिहार के भागलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे हैं। देश के पहले गांधी विचार विभाग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले और विभाग के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ. रामजी सिंह रहे हैं। मूल रूप से बिहार के भागलपुर के रहने वाले प्रो. रामजी सिंह के प्रयासों से देश के पहले गांधी विचार विभाग का उद्घाटन दो अक्टूबर 1980 को भागलपुर विश्वविद्यालय में किया गया था। तब यह देश का इकलौता विभाग था, जहां गांधी विचार की पढ़ाई शुरू हुई थी। इन्होने इसके लिये अपनी महत्वपूर्ण व दुर्लभ कही जानेवाली 5 हजार पुस्तकें दान कर दी थी। आज 25 विश्वविद्यालयों में गांधी विचार विभाग की पढ़ाई हो रही है। पद्मश्री का पुरस्कार के बारे में उनका कहना था कि यह पुरस्कार उन्हें नहीं बल्कि समाज के लिए काम करने वाले लोगों को समर्पित है।

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