जैन विश्वभारती संस्थान में ग्रंथ समीक्षा संगोष्ठी में आचार्य महाप्रज्ञ कृत पुस्तक ‘जैन दर्शनः मनन और मीमांसा’’ की समीक्षा प्रस्तुत

दर्शन की गूढता को सरल करके सर्वजन उपयोगी बनाया

लाडनूँ, 15 फरवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) संचालित ग्रंथ समीक्षा संगोष्ठी कार्यक्रम अन्तर्गत के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में आचार्य महाप्रज्ञ कृत पुस्तक ‘‘ जैन दर्शनः मनन और मीमांसा’’ की समीक्षा प्रस्तुत की गई। इस पुस्तक समीक्षा में सहायक आचार्या डाॅ. समणी भास्कर प्रज्ञा ने बताया कि महाप्रज्ञ ने परम्परा और कालचक्र, तत्व मीमांसा, आचार मीमांसा, ज्ञान मीमांसा और प्रमाण मीमांसा इन 5 खंडों में जैन दर्शन के गूढ रहस्यों को आसान व सरल भाषा में नवीन तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हुये जैन दर्शन की बौद्ध व वेदांत दर्शनों के साथ तुलना प्रस्तुत करके भारतीय दर्शन का सटीक व तटस्थता पूर्वक निरूपण किया है। पुस्तक की विषयवस्तु, उसकी पृष्ठभूमि और रहस्यों के बारे में बताते हुये डाॅ. भास्कर प्रज्ञा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की साहित्यिक मेधा उच्च कोटि की रही थी। उह उनकी लेखनी और मेधाशक्ति की विशेषता ही रही कि उन्होंने इस गूढ विषय वाली पुस्तक को आबाल-वृद्ध सामान्यजन से लेकर विद्वानों तक प्रत्येक श्रेणी के व्यक्ति के लिये पठनीय एवं हृदंगम करने वाली पुस्तक का स्वरूप दिया है। इस ग्रंथ समीक्षा संगोष्ठी की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने की। संगोष्ठी में डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा, डाॅ. समणी सम्यक्त्व प्रज्ञा, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, डाॅ. सुनीता इंदौरिया, डाॅ. मीनाक्षी मारू एवं समस्त शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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