जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

आत्म निर्भर भारत के निर्माण में हस्त कौशल कार्य की महत्वपूर्ण भूमिका-अनिल जैन

लाडनूँ,30 सितम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हस्त कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन कुलपति प्रो. बीआर दूगड की प्रेरणा व संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञ अनिल कुमार जैन ने ब्लू मोंडियाल के निदेशक ने कहा ब्लू पोटरी पूरे देश में और यहां तक कि दुनिया में बहुत प्रसिद्ध रहा है। ब्लू पॉटरी जयपुर की पारंपरिक कला के रूप में जानी जाती है। विविध प्रकार के आइटम जैसे हाथी, दीपक, गुलदस्ता रखने के पॉट, विविध प्रकार के पक्षी आदि का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने उन सबको बनाने की प्रक्रिया से अवगत कराया। जैन ने बताया कि ब्लू पॉटरी बनाने की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, ग्लास पाउडर, कतीरा, मुल्तानी मिट्टी (बेंटोनाइट), साजी (सी फोम) सामग्री को प्रयुक्त किया जाता है तथा मिश्रण की प्रक्रिया में क्वार्ट्ज पाउडर, कतीरा गोंद, ग्लास पाउडर, साजी, और मुल्तानी मिट्टी को पानी के साथ मिलाया जाता है। कार्यक्रम में कविता जैन ने बताया कि मोल्डिंग में मिश्रण को गूंध कर रोटी के आकार में बेल लिया जाता है और फिर उस रोटी को एक सांचे में डाला जाता है और राख को भर दिया जाता है। फिर उसे उलटा कर पटली पर उतार दिया जाता है और धूप में सुखाने के लिये रख दिया जाता है। इसके बाद फिनिशिंग में मिश्रण से तैयार हुआ सामान पूरी तरह से सुखा दिया जाता है और इसे अंतिम रूप देने के लिए रेगमाल से रगड़ा जाता है। क्वार्ट्ज पाउडर, सफेद कांच के पाउडर और लेई को पानी के साथ मिलकर घोल बनाया जाता है, जिसे अस्तर कहते हैं। कोबाल्ट ऑक्साइड को सिलबट्टे पर घोटा जाता है और गोंद मिलकर कलर बनाते हैं। उसके बाद ब्रश की सहायता से डिजाइन दी जाती हैं। डिजाइन के बाद ये आइटम पककर तैयार हो जाते है। प्रारम्भ में कार्यक्रम तथा विशेषज्ञ का परिचय एवं अंत में आभार ज्ञापन संयोजक प्रो. बीएल जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग मोहन सियोल ने प्रदान किया। कार्यक्रम में देश भर के 150 शिक्षाविद, विधार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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