जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में व्याख्यान का आयोजन

नई शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन देश को नई दिशा देने में सक्षम

लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित ‘संकाय सवर्द्धन कार्यक्रम’ में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: तथ्य और चुनौतियां’ विषय पर डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में चर्चा करते हुये स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा शिक्षक शिक्षा के बारे में सुधारों की व्याख्या की। उन्होने बताया कि स्कूल शिक्षा में 5 + 3 + 3 + 4 पैटर्न, कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा का प्रारम्भ, कक्षा 5 तक अनिवार्य मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षक शिक्षा में 2030 तक चार वर्षीय एकीकृत बीएड को ही मान्यता, शिक्षक पात्रता परीक्षा में बदलाव, शिक्षक भर्ती में डेमो व साक्षात्कार की अनिवार्यता आदि सुधार प्रमुख हैं, जिन्हें लागू करने में अनेक चुनौतियां हैं। इनमें राज्य सरकारों का सहयोग, वित्तीय व्यवस्था, मानवीय संसाधनों की आपूर्ति, भाषा सम्बंधी चुनौतियां प्रमुख हैं। इनका सामना सबके सहयोग से ही किया जा सकता है। यह नई शिक्षा प्रणाली ‘रीड टू लर्न’ के स्थान पर ‘लर्न टू रीड’ पर जोर देती है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रावधान शिक्षा के विभिन्न आयामों को नई दिशा देने वाले हैं। अगर इनका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है, तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों में समकक्ष ले जाएगी। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. विष्णु कुमार, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. ममता सोनी, ललित गौड़ आदि शिक्षा संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।

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