जैन विश्वभारती संस्थान में आचार्य महाप्रज्ञ के सामाजिक योगदान और जीवन पर कार्यक्रम आयोजित

महाप्रज्ञ की 102वीं जयंती मनाई

लाडनूँ, 7 जुलाई 2021। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के कान्फ्रेंस हाॅल में बुधवार को संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता रहे आचार्यश्री महाप्रज्ञ की 102वीं जयन्ती पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में ‘आचार्य महाप्रज्ञ के अनुकरणीय जीवन एवं उनके सामाजिक योगदान’ विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता प्रो. त्रिपाठी ने व्यक्ति एक-रूप अनेक की उक्ति को परिभाषित करते हुए आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा दी गयी प्रेक्षाध्यान की पद्धति का महत्व बताया तथा साथ ही आधुनिक शिक्षा पद्धति पर महाप्रज्ञ के विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके कार्यों और रचनाओं का विवरण प्रस्तुत किया। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि 1949 में अणुव्रत आन्दोलन से लेकर अर्थशास्त्र तक को नैतिकता की कसौटी पर ले जाने की सोच रखने वाले कर्मनिष्ठ मुनिवर आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा कवित्व धर्म की पालना करते हुए समाज को साहित्य रूपी दर्पण के वास्तविक साक्षात्कार सहज रूप से करवाया था। उन्होंने महाप्रज्ञ की लेखनी में भाषा की सहजता एवं उनकी शैलीगत विशिष्टताओं की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट करवाया। इस अवसर पर अभिषेक चारण ने ‘युगान्तर कर्मयोगी’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए बताया कि उसमें आचार्य महाप्रज्ञ के सम्पूर्ण जीवनवृत को अभिव्यक्त किया गया है। उन्होंने प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी की कृति की प्रशंसा की। इस अवसर पर डाॅ. बलवीरसिंह ने भी आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डॉ. विनोदकुमार सैनी, अभिषेक शर्मा, घासीलाल शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया।

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