‘नवीनतम कर व्यवस्था का महत्वपूर्ण विश्लेषण’ पर व्याख्यान आयोजित

प्रति वर्ष 15 लाख से अधिक कमाने वाले कर-बचत निवेश द्वारा उठा सकेंगे लाभ

लाडनूँ, 31 मार्च 2022। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में मासिक व्याख्यानमाला की श्रृंखला में प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में ‘नवीनतम कर व्यवस्था का महत्वपूर्ण विश्लेषण’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। वाणिज्य संकाय के सदस्य अभिषेक शर्मा ने व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कर नियोजन के उद्देश्यों के लिए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर व्यवस्था को चुनने महत्वपूर्ण बताया तथा कहा कि एक करदाता को नई कर व्यवस्था के आयकर की तुलना पिछले शासन के आयकर से करनी चाहिए। निवेश और टीडीएस या देय अग्रिम कर की गणना वर्ष की शुरुआत में करदाता की पसंद की कर प्रणाली के अनुसार की जाती है। शर्मा ने वर्तमान परिप्रेक्ष में संकेत करते हुए संक्षेप में कहा कि नई प्रणाली उन लोगों के लिए अधिक अनुकूल होगी, जो कर बचत, स्वास्थ्य बीमा, एनपीएस निवेश आदि के लिए कम कटौती का दावा करते हैं, जो कर-बचत निवेश का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के विपरीत है। साथ ही 5-10 लाख रुपये की आय वर्ग के व्यक्तियों को भी नई व्यवस्था से लाभ होगा, क्योंकि वे आयकर अधिनियम की धारा 115 बीएसी के तहत कम कटौती का दावा कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर उच्च आयकर वर्ग में जो प्रति वर्ष 15 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, वे कर-बचत निवेश करके मौजूदा शासन का लाभ उठा सकेंगे। यह भी स्मरणीय है कि कर व्यवस्था पर निर्णय लेने से पहले प्रत्येक करदाता को कर-बचत निवेश सहित अपने आयकर का आकलन करना चाहिए। व्याख्यान के पश्चात शर्मा ने विभिन्न संकाय सदस्यों की व्याख्यान संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. त्रिपाठी ने अंत में वर्तमान परिवर्तित कर प्रणाली के दौर में व्याख्यान को महत्वपूर्ण एवं सारगर्भित बताया तथा नई कर व्यवस्था को भारत के दूरगामी हितों के अनुकूल बताया, लेकिन सीनियर सिटीजन हेतु पुरानी कर व्यवस्था को अधिक कारगर माना। सहायक आचार्या (आईटी) डॉ. प्रगति भटनागर ने आभार ज्ञापित किया। इस दौरान डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. विनोद कुमार सैनी एवं प्रेयस सोनी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया।

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