महात्मा बुद्ध जयंती पर बुद्ध पूर्णिमा कार्यक्रम का आयोजन।
बुद्ध ने मानव मात्र को एक नई दिशा दी थी- प्रो. त्रिपाठी
लाडनूँ, 14 मई 2022। ‘संयम आचार का मूल है। सुख प्राप्ति के लिए एकमात्र संयम का ही मार्ग है। विवेकपूर्वक गति करने को संयम कहते हैं। सबको संयम के मार्ग पर चलना चाहिए। न अधिक लगाव होना चाहिए और न अधिक विरोध किया जावे।’ ये विचार वयोवृद्ध विद्वान प्रो. दामोदर शास्त्री ने यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में बुद्ध पूूर्णिमा के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में कहे। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध ने जो दर्शन व आचार दिया, उसमें जो करूणा, अहिंसा, अनुकम्पा, मैत्री तत्व हैं, वे लगभग सभी धर्मों में निहित हैं। दर्शनों के आधार तीन चीजों को माना जाता है, जिनमें देव या आराध्य, शास्त्र व गुरू शामिल हैं और तीनों महत्वपूर्ण हैं। आराध्य के रूप में किसे पूजा जावे, किसकी शरण में जाएं या किसके सामने झुको को सभी धर्म व दर्शन अलग-अलग स्वीकार करते हैं। इसी प्रकार शास्त्रों में उनके लिए आचार वर्णित होते हैं। उन्हें क्या करना है, इसका निश्चय होता है। तीसरा गुरू होता है, जिसके माध्यम से देव या आराध्य और शास्त्रों के ज्ञान के बारे में जाना जा सकता है। ये तीनों सभी दर्शनों में भिन्न-भिन्न होती हैं। लेकिन, सबको लक्ष्य एक ही होता है। सबको सुख चाहिए। सारी भिन्नताओं के बाद भी सुख सभी को चाहिए। सुख प्राप्ति के लिए सबके रास्ते अलग-अलग हैं, पर लक्ष्य एक ही है। महात्मा बुद्ध ने निर्वाण का मार्ग बताया, जो पूर्णता की स्थिति है। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि महात्मा बुद्ध के सभी महत्वपूर्ण कार्य बुद्ध पूिर्णमा के दिन ही किए गए थे। उनके जन्म से लेकर बोधिसत्व प्राप्ति आदि सभी इसी दिन हुए। बुद्ध ने मानव मात्र को एक नई दिशा दी थी। वे अतिभोग और अतियोग दोनों को नहीं करने और मध्यम मार्ग अपनाने की प्रेरणा देते थे। 40 वर्षों तक उन्होंने भ्रमण किया और लोगों को उपदेश दिए। इस बीच अपने ज्ञान व उपदेश से अनेक लोगों के हृदय परिवर्तन भी किए। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि बुद्ध ने बताया था कि सारा संसार दुःखों से भरा हुआ है। उन्होंने 4 आर्य सत्य बताए, जिनमें दुःख, दुःख की प्रवृति, दुःख की उत्पति और दुःख निवारण का मार्ग शामिल हैं। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि बुद्ध ने दुःख निवारण के लिए 8 अंग बताए थे। इन आठ अंगों में सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि शामिल हैं। इस अष्टाह्निक आर्यमार्ग को सिद्ध कर मुक्त हुआ जा सकता है। अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी ने कहा कि पूरी दुनिया बुद्ध के विचारों से प्रभावित हैं। उनके बताए जीवन दर्शन का अनुसरण करना चाहिए। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने बुद्ध के योग व ध्यान की प्रक्रिया का वर्णन किया और जीवन उद्धार के उनके मार्ग को बताया। अंत में डॉ. अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गिरधारीलाल शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. लिपि जैन, डॉ. आभासिंह, श्वेता खटेड़, प्रमोद ओला, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. भाबाग्रही प्रधान, डॉ. विनोद सैनी, डॉ. विनोद सियाग, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. सरोज राय आदि एवं छात्राएं उपस्थित रही।
Latest from
- जैविभा विश्वविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित
- राष्ट्रीय स्तरीय सात दिवसीय जैन स्काॅलर कार्यशाला आयोजित
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने सजाई आकर्षक रंगोलियां
- तीन दिवसीय ‘यह दिवाली, माय भारत वाली’ कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय एकता व दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया
- पुरखों व संस्कारों के प्रति आस्था होने पर ही व्यक्ति की सम्पूर्णता- ओंकार सिंह लखावत
- दीपावली पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी प्रतियोगिताओं में 28 छात्राओं ने हाथों पर सजाई नई-नई डिजाइनें
- एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने विश्वविद्यालय में सफाई अभियान चलाया
- जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सहायक आचार्य डॉ.लिपि जैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
- संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम एकदिवसीय शिविर का आयोजन
- अनुपयोगी सामग्री के उपयोग से सजावटी व उपयोगी वस्तुओं का निर्माण
- आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा
- केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की
- छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित
- विश्व दृष्टि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों ने किया शैक्षणिक भ्रमण
- शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राध्यापिकाओं के स्वागत के लिए ‘सृजन 2024’ का आयोजन
- आगमों एवं प्राचीन अभिलेखों में मौजूद हैं भारतीय संस्कृति के समस्त मूल तत्व- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा
- ‘उत्तम स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक अनुकूलता’ विषय पर व्याख्यान
- विश्व शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- रक्तदाता स्वयंसेविकाओं व छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने लगाए पंछियों के लिए परिंडे, चुग्गा-पात्र व घोंसले
- लाडनूँ से 52 छात्राध्यापिकाओं के दल ने गुजरात व माउंट आबू का किया पांच दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण
- प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास में जैनाचार्यों और मनीषियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा- डाॅ. रविन्द्र कुमार खाण्डवाला
- राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किया गया आयोजन
- महात्मा गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन
- नैतिकता की उड़ान के लिए प्रेक्षाध्यान-जीवन विज्ञान की आवश्यकता- प्रो. त्रिपाठी
- योग एवं जीवन विज्ञान विभाग में नव आगंतुक विद्यार्थियों का स्वागत समारोह आयोजित
- स्वच्छता पखवाड़े के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने किया श्रमदान
- जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने लाडनूं में मुनिश्री जयकुमार के दर्शन किए और आध्यात्मिक चर्चा की
- ‘क्रोध नियंत्रण एवं संयमित आचरण’ के लिए विद्यार्थियों को किया प्रेरित'
- खानपुर में भियाणी में निकाली गई स्वच्छता जागरूकता रैली
- लाडनूँ की छात्राओं ने लिया भारतीय युवा संसद में हिस्सा,
- ‘स्वच्छता ही सेवा’ के तहत छात्राध्यापिकाओं द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम
- कस्तूरबा गांधी अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में श्रमदान व पौधारोपण किया
- जैविभा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया
- छात्राध्यापिकाओं ने ‘पर्यावरण क्लब’ द्वारा बताया स्वच्छता का महत्व
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली और कचरा व नाकारा सामान से बनाए आकर्षक उपयोगी आइटम्स
- मेधावी छात्रा मीनाक्षी भंसाली को परीक्षा परिणाम के आधार पर राजस्थान सरकार से मिला टैबलेट
- शांति मानव कल्याण का आधार - श्री विक्की नागपाल
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं को दिलवाई स्वच्छता की शपथ
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं ने बनाई अनुपयोगी सामान से उपयोगी सामग्री
- स्वच्छता जागरूकता संबंधी रैली निकल गई
- जैन विश्व भारती संस्थान में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन
- महिला स्वतंत्रता सेनानी मणिबेन के जीवन व कार्यों को याद किया
- मान, सम्मान और गौरव की भाषा है हिन्दी- प्रो. जैन
- व्यक्तित्व विकास के लिए आत्मविश्वास व अनुशासन अधिक जरूरी- नाहटा
- क्षमा के आदान-प्रदान से बन सकता है कार्य-व्यवहार और जीवन शुद्ध- कुलपति प्रो. दूगड़