आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘संवाद भगवान से’ की समीक्षा प्रस्तुत
ज्ञान के निरंतर अभ्यास से वस्तुओं, परिवेश और घटनाओं को व्यक्ति जान लेता है
लाडनूँ, 28 नवम्बर 2022। जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में संचालित पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में सोमवार को आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘संवाद भगवान से’ के भाग दो की समीक्षा प्रस्तुत की गई। समीक्षा में प्रो. बी.एल जैन ने बताया कि आध्यात्मिक, नैतिक, चारित्रिक आदि प्रेरणादायी विषयों को इस पुस्तक में प्रश्न और उत्तर के माध्यम से गहनता से समझाने का प्रयास किया गया है। मन, वचन, काया, शांति, सद्भाव, आहार, योग, भक्ति आदि के विषय में यह पुस्तक ज्ञानेंद्रियों को पवित्र बनाने के लिए प्रेरित करती है और जीवन में आने वाली समस्याएं, चुनौती और कठिनाइयों से निजात दिलाने में सहायक है। ज्ञानेंद्रियों और त्रिरत्न से क्या मिल सकता है, इसका विवेचन करते हुए ज्ञान संपन्नता के बारे में बताया गया है कि ज्ञान से संपन्न व्यक्ति को संसार के पदार्थों का ज्ञान ठीक प्रकार से हो जाता है। ज्ञानी व्यक्ति अवधि ज्ञान, विनय,तप और चरित्र आदि जैसे विशिष्ट गुणों का खंचाजी बन जाता है।
ज्ञानी व्यक्ति भ्रमित नहीं होता
आचार्यश्री ने अपनी इस पुस्तक में ज्ञान को पवित्र वस्तु माना है। ज्ञान वही प्राप्त कर सकता है, जिसमें श्रद्धा और रुचि होती है। जिस व्यक्ति के अंदर ज्ञान प्राप्त करने के प्रति लालसा नहीं होती, वह व्यक्ति कभी भी ज्ञानी नहीं बन सकता है। ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति परम शांति एवं आनंद को प्राप्त करता है। ज्ञानी व्यक्ति जीवन में कभी भ्रमित नहीं होता है। वह हर कार्य श्रेष्ठ ढंग से करता है। ज्ञान का निरंतर अभ्यास करने से वस्तुओं का, परिवेश का और घटनाओं को व्यक्ति जान लेता है। आचार्य महाश्रमण कहते हैं कि जिसे सम्यक दर्शन प्राप्त हो जाता है,उसे मिथ्यात्व का मोह या मिथ्यात्व का रोग दूर हो जाता है। सम्यक दर्शन प्राप्त व्यक्ति जो जैसा है, उसे वैसा ही समझता है। वह यथार्थ तत्व को जानना, पहचानना और स्वीकार करने लग जाता है।
सम्यक् दर्शन से व्यक्ति वही देखता है, जो वास्तव में होता है
सम्यक दर्शन को स्पष्ट करने के लिए एक बहुत सुंदर उदाहरण आचार्यश्री ने अपनी पुस्तक में दिया है। जैसे रंगीन चश्मे को पहनने पर व्यक्ति को दुनिया उसी प्रकार की दिखाई देगी, जिस प्रकार का वह रंगीन चश्मा होगा। यदि रंगीन चश्मा हरा होगा तो दुनिया हरी दिखाई देगी और रंगीन चश्मा पीला होगा तो पीली दिखाई देगी। लेकिन सम्यक दर्शन प्राप्त व्यक्ति को दुनिया जैसी है वैसी ही दिखाई देगी। सम्यक दर्शन प्राप्त व्यक्ति वस्तु को उसी रूप में ही देखता है जिस रूप में वह होती है। चरित्र संपन्नता मैं व्यक्ति शैलेषी भाव को प्राप्त होता है और चरित्र संपन्न व्यक्ति प्रशांत, मुक्त और सब दुखों का अंत कर लेता है। ज्ञान को प्राप्त करने के बाद उसे आचरण में लाना सम्यक चरित्र है। क्योंकि, ज्ञान का सार आचार है। चरित्र की साधना और आराधना करते हुए व्यक्ति शैलेषी भाव को प्राप्त कर लेता है। कार्यक्रम में डा. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, खुशाल जांगिड, डॉ. सरोज रॉय, प्रमोद ओला आदि संकाय सदस्य एवं शिक्षा विभाग की बी.एड, बी.ए.-बी.एड. एवं बी.एस.सी-बी.एड. की छात्राध्यपिकाएं उपस्थित रही।
Latest from
- जैविभा विश्वविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित
- राष्ट्रीय स्तरीय सात दिवसीय जैन स्काॅलर कार्यशाला आयोजित
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने सजाई आकर्षक रंगोलियां
- तीन दिवसीय ‘यह दिवाली, माय भारत वाली’ कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय एकता व दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया
- पुरखों व संस्कारों के प्रति आस्था होने पर ही व्यक्ति की सम्पूर्णता- ओंकार सिंह लखावत
- दीपावली पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी प्रतियोगिताओं में 28 छात्राओं ने हाथों पर सजाई नई-नई डिजाइनें
- एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने विश्वविद्यालय में सफाई अभियान चलाया
- जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सहायक आचार्य डॉ.लिपि जैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
- संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम एकदिवसीय शिविर का आयोजन
- अनुपयोगी सामग्री के उपयोग से सजावटी व उपयोगी वस्तुओं का निर्माण
- आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा
- केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की
- छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित
- विश्व दृष्टि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों ने किया शैक्षणिक भ्रमण
- शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राध्यापिकाओं के स्वागत के लिए ‘सृजन 2024’ का आयोजन
- आगमों एवं प्राचीन अभिलेखों में मौजूद हैं भारतीय संस्कृति के समस्त मूल तत्व- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा
- ‘उत्तम स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक अनुकूलता’ विषय पर व्याख्यान
- विश्व शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- रक्तदाता स्वयंसेविकाओं व छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने लगाए पंछियों के लिए परिंडे, चुग्गा-पात्र व घोंसले
- लाडनूँ से 52 छात्राध्यापिकाओं के दल ने गुजरात व माउंट आबू का किया पांच दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण
- प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास में जैनाचार्यों और मनीषियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा- डाॅ. रविन्द्र कुमार खाण्डवाला
- राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किया गया आयोजन
- महात्मा गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन
- नैतिकता की उड़ान के लिए प्रेक्षाध्यान-जीवन विज्ञान की आवश्यकता- प्रो. त्रिपाठी
- योग एवं जीवन विज्ञान विभाग में नव आगंतुक विद्यार्थियों का स्वागत समारोह आयोजित
- स्वच्छता पखवाड़े के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने किया श्रमदान
- जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने लाडनूं में मुनिश्री जयकुमार के दर्शन किए और आध्यात्मिक चर्चा की
- ‘क्रोध नियंत्रण एवं संयमित आचरण’ के लिए विद्यार्थियों को किया प्रेरित'
- खानपुर में भियाणी में निकाली गई स्वच्छता जागरूकता रैली
- लाडनूँ की छात्राओं ने लिया भारतीय युवा संसद में हिस्सा,
- ‘स्वच्छता ही सेवा’ के तहत छात्राध्यापिकाओं द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम
- कस्तूरबा गांधी अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में श्रमदान व पौधारोपण किया
- जैविभा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया
- छात्राध्यापिकाओं ने ‘पर्यावरण क्लब’ द्वारा बताया स्वच्छता का महत्व
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली और कचरा व नाकारा सामान से बनाए आकर्षक उपयोगी आइटम्स
- मेधावी छात्रा मीनाक्षी भंसाली को परीक्षा परिणाम के आधार पर राजस्थान सरकार से मिला टैबलेट
- शांति मानव कल्याण का आधार - श्री विक्की नागपाल
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं को दिलवाई स्वच्छता की शपथ
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं ने बनाई अनुपयोगी सामान से उपयोगी सामग्री
- स्वच्छता जागरूकता संबंधी रैली निकल गई
- जैन विश्व भारती संस्थान में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन
- महिला स्वतंत्रता सेनानी मणिबेन के जीवन व कार्यों को याद किया
- मान, सम्मान और गौरव की भाषा है हिन्दी- प्रो. जैन
- व्यक्तित्व विकास के लिए आत्मविश्वास व अनुशासन अधिक जरूरी- नाहटा
- क्षमा के आदान-प्रदान से बन सकता है कार्य-व्यवहार और जीवन शुद्ध- कुलपति प्रो. दूगड़