प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
जनता की दुखती नसों को पहचान कर चलाई थी कलम- प्रो. जैन
लाडनूँ, 31 जुलाई 2024। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में बुधवार को प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल जैन ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का जन्म उत्तरप्रदेश के लमही में 31 जुलाई 1880 को हुआ था, उनका जीवन बहुत कठिनाईयों के साथ व्यतीत हुआ। उन्होंने अपने जीवन में अभाव को भी भाव के रूप में जिया। वे समाजवादी आदर्श के पुजारी थे। उनके उपन्यासों में समाजवादी आदर्श की स्पष्ट झलक मिलती है। उनका कथन था ‘सारा संसार समाजवाद की ओर बढ़ रहा है। बिना साम्य और परंपराओं का विचार किये, सबको समान अवसर देना, सच्चे धर्म के अधिक निकट है।’ प्रेमचंद इंसान की सेवा को ही ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे। गरीबों के दुःख-दर्द को उन्होंने बहुत तीव्रता के साथ अनुभव किया। उन्हें जनता की दुखती नसों को पहचाना। गरीबी और सामाजिक शोषण के वह खुद भी शिकार बन चुके थे। वे वर्ग जाति-पाति, छुआछूत और सांप्रदायिकता से बहुत ऊपर थे।
कथा साहित्य के माध्यम से दरिद्रता, भूख, अशिक्षा, शोषण को ललकारा
प्रो. जैन ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियां ग्रामीण जीवन की सजीव झांकियां उपस्थित करती हैं। उनके पात्र पिता-पुत्र, स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, हिंदू-मुस्लिम, उच्च और नीचे सभी वर्गों के लोग हैं। सभी के चरित्र का मुंशी प्रेमचंद ने यथार्थ मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। प्रेमचंद कथा साहित्य को माध्यम बनाकर देहातियों की दरिद्रता, भूख, अशिक्षा, रूढ़िवादिता, सामाजिक शोषण, अंधविश्वास और लाचारियों का मार्मिक चित्रण किया है। समाज में स्त्रियों की असह्य दशा का वर्णन भी उन्होंने अपने उपन्यास ‘सेवा सदन’ और ‘प्रेम आश्रम’ में किया है। वे देश की बहुमुखी समस्याओं से भली भान्ति परिचित थे और आने वाली युग की पृष्ठभूमि को समझते और उन समस्याओं को सुलझाने की चेष्टा की है। समाज सेवा की इच्छा से नौकरी छोड़कर वे अपने गांव लमही में चले गए। वहीं बैठकर वे पढ़ने और लिखने लगे। तब तक वह लेखक के नाते प्रसिद्ध हो चुके थे। 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहावसान हो गया। मुंशी प्रेमचंद अब नहीं है, लेकिन उनकी कहानी और उपन्यास आज भी बड़े चाव से पढ़े जाते हैं। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. अमिता जैन, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. आभा सिह, डॉ. गिरधारीलाल, खुशाल जांगिड, प्रमोद ओला, सुश्री स्नेहा शर्मा आदि एवं शिक्षा विभाग की बी.एड, बी.ए.-बी.एड एवं बी.एस.सी-बी.एड की छात्राध्यपिकाएं उपस्थित रही।
Latest from
- तीर्थंकर ऋषभदेव के यागदान को लेकर व्याख्यानका आयोजन
- स्वयंसेविकाओं को बताए आत्मरक्षा के उपाय
- इच्छाओं पर नियंत्रण से ही शांति संभव- प्रो. सुषमा सिंघवी,
- जैविभा विश्वविद्यालय में कवि सम्मेलन में कवियों ने हंसाया, गुदगुदाया, वीर रस से किया ओतप्रेात, खूब लूटी तालियों की गड़गड़ाहट
- दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताई शांति की पृष्ठभूमि और प्रतिस्थापना के उपाय
- कौशल कार्यशाला में एआई की महता, उपयोग और जागरूकता का दिया प्रशिक्षण
- फिट इंडिया मिशन के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम में यौगिक क्रियाओं एवं प्रेक्षाध्यान का किया अभ्यास
- जैन विश्व भारती संस्थान में चल रहे सात दिवसीय शिविर का समापन
- छात्राओं के लिए क्विज प्रतियोगिता और भारतीय भाषाओं की जानकारी दी गई
- कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने लक्ष्य, लगन और परिश्रम को बताया सफलता का राज
- ‘भारतीय ज्ञान परम्परा में लौकिक और पारलौकिक दर्शन’ विषय पर व्याख्यान आयोजित
- महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन
- स्वयंसेवकों ने माय भारत पोर्टल पर करवाया युवाओं का नामांकन
- स्वयंसेविकाओं ने ‘समाज में बढती अपराध प्रवृति’ पर निबंध लिख कर रखे अपने विचार
- टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत जागरूकता रैली का आयोजन
- शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक घटकों की महत्ता से शिक्षा को सशक्त किया जा सकता है- प्रो. जैन
- मासिक व्याख्यानमाला में वितीय बाजार पर व्याख्यान आयोजित
- भूमिका न हो तो किसी वस्तु का ज्ञान नहीं हो सकता-प्रो सिंघई
- जैविभा विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक प्रतियोगिता में नाटक प्रतियोगिता आयोजित
- ‘मन’ के द्वारा दर्शन हो जाता है, पर ‘मन’ का दर्शन कभी नहीं हो सकता- प्रो. धर्मचंद जैन
- सामान्य और विशेष निरपेक्ष नही हैं- प्रो. सुषमा सिंघवी
- सुप्रसिद्ध उद्योगपति केएल पटावरी को किया जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस’ नामित
- ‘विकसित भारत यंग लीडर्स’ डायलाॅग पर दो दिवसीय युवा कार्यक्रम सम्पन्न
- वाद-विवाद प्रतियोगिता में लाडनूँ की अभिलाषा स्वामी ने झंडे गाड़े
- अमेरिका के विश्वविद्यालय के साथ जैविभा विश्वविद्यालय का एमओयू हुआ
- आशुभाषण प्रतियोगिता में छात्राओं ने तत्काल दिए टाॅपिक पर प्रस्तुत किए विचार
- पुलिस अधिकारियों ने दी साइबर फ्रॉड से बचने व सड़क सुरक्षा के लिए सजग रहने की सलाह
- भारतीय ज्ञान परम्परा संस्कृति, संस्कार, मूल्य, नैतिकता एवं चरित्र को बचाने में सक्षम- प्रो. जैन
- साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर किया डिजीटल एरेस्ट के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक
- संस्थान में खेलकूद प्रतियोगिताओं का शुभारंभ
- महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘भारतीय ज्ञान-परम्परा में ज्ञान और विज्ञान’ विषयक व्याख्यान आयोजित
- सामाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक लेखन व सामाजिक कार्यों के लिए किया गया सम्मान
- सड़क सुरक्षा रैली एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
- निष्पक्ष मतदान लोकतंत्र का आधार- प्रो. जैन
- मकर संक्रांति आपसी प्रेम, सद्भाव और आनंद का पर्व है- प्रो. जैन
- विद्यार्थियों को दी गई फिट इंडिया मोबाइल ऐप के बारे में जानकारी
- फिट इंडिया सप्ताह के तहत योग एवं प्रेक्षाध्यान का करवाया अभ्यास
- चेतनापूर्ण जीवन शैली ही मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी- डॉ. भोजक
- ‘हम सभी के लिए मानव अधिकार’ थीम पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय भारतीय भाषा उत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
- फिट रहने के लिए विभिन्न सुझाव एवं विचारों पर मंथन
- स्थानीय खेल में विद्यार्थियों ने लिया उत्साह पूर्वक भाग
- राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विश्व अल्पसंख्यक दिवस समारोह में जैविभा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि हुए सम्मिलित
- निबंध लेखन तथा समुह- चर्चा कार्यक्रम का आयोजन
- राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने ली स्वच्छता रखने की शपथ
- संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग में मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
- दुःसाहसी पर्वतारोही-बाइकर नीतू चौपड़ा ने छात्राओं को सिखाए आत्मरक्षा के गुर