युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर: शांतिपूर्ण समाज का आधार

सोना देवी सेठिया महाविद्यालय में आयोजित किया गया एकदिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर

लाडनूँ, 23 अगस्त 2024। जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा सोना देवी सेठिया स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय सुजानगढ़ में एक दिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के शुरुआत में विभाग की सहायक आचार्य डॉ. लिपि जैन ने विषय परिचय प्रस्तुत किया और बताया कि आज वर्तमान वैश्विक स्तर पर आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और कुछ राष्ट्र आतंकवाद के बल पर वैश्विक अशांति फैला रहे हैं, यदि इसके स्थान पर लोगों को अहिंसा का प्रशिक्षण दिया जाए जिससे शांति का माहौल बन सके। आज प्रत्येक व्यक्ति शांति की चाह रखता है । इस हेतु आंतरिक शांति और बाह्य शांति दोनों का होना बहुत जरूरी है । जब तक व्यक्ति आंतरिक रूप से शांत नहीं होगा तब तक बाह्य शांति की कल्पना नहीं की सकती । विभाग के सहायक आचार्य डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़ ने अहिंसा प्रशिक्षण के चार आयामो की चर्चा करते हुए बताया कि हृदय परिवर्तन, दृष्टिकोण परिवर्तन,व्यवस्था परिवर्तन तथा जीवन शैली परिवर्तन आयाम को व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो काफी हद तक हिंसा की प्रवृत्तियों से बच सकता है। इतिहास के विभिन्न उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि कैसे हिंसा का परित्याग किया गया ।उन्होंने अशोक महान के हृदय परिवर्तन के लिए कलिंग के युद्ध को उत्तरदाई बताया और उनका दृष्टिकोण हिंसा के स्थान पर स्वत: ही अहिंसक बन गया ।उन्होंने यह भी बतलाया कि वर्तमान वैश्विक जगत में जो समस्या उत्पन्न हो रही है उनका आपसी वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्धा मुख्य कारण माना जाता है और यदि इस दिशा में राष्ट्र हिंसा की प्रवृत्ति को छोड़कर अहिंसा की नीतियां अपनाने लग जाए तो अधिकांश अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का निराकरण शांतिपूर्ण ढंग से हो सकता है ।विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह ने अपने उद्बोधन में बतलाया कि वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी अहिंसा,शांति एवं पारस्परिक सद्भाव की नीति को राष्ट्रों के विवादों का हल करने में महत्वपूर्ण आयाम मान रहे हैं ।आज संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से विश्वशांति दिवस,अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस जैसे दिवसों का आयोजन भी अहिंसा की नीति पर ही आधारित है। उन्होंने यह भी बताया कि जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा भी शांति स्थापना की दिशा में विद्यार्थियों को अहिंसा एवं शांति की शिक्षा प्रदान की जा रही है और युवाओं के चिंतन व दर्शन के साथ मानवीय मूल्यों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ।विभाग की छात्रा माया कवंर ने भी अहिंसा प्रशिक्षण विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए बतलाया कि वर्तमान बढ़ती हिंसक घटनाओं के निराकरण में अहिंसा प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण उपाय बन सकता है। अंत में महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. साधना सिंह ने आभार ज्ञापित किया और बताया कि इस प्रकार के शिविरों की युवाओं के दृष्टिकोण बदलाव हेतु महती आवश्यकता है ।इस दिशा में जैैन विश्व भारती संस्थान काफी अग्रणी भूमिका का निर्वाह भी कर रहा है ।कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थियों के साथ विभाग के विद्यार्थियों सहित 74 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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